झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गजों की धड़कनें है तेज, जीत से बदल जाएगा सियासी माहौल


झाबुआ के प्रभारी मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने दावा किया है कि कमलनाथ सरकार की आदिवासी योजनाएं पार्टी को जीत दिलाने का काम करेंगी. कांग्रेस के मुकाबले इस बार सबसे ज्यादा झाबुआ में जीत के लिए दम लगाने वाली बीजेपी का दावा है कि झाबुआ पर उसका कब्जा बरकरार रहेगा. हालांकि बीजेपी झाबुआ सीट को कांग्रेस का परंपरागत सीट मान रही है, लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा है कि झाबुआ में पार्टी प्रत्याशी भानू भूरिया को जीत मिलेगी.

2018 में भाजपा को मिली थी जीत

बहरहाल, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को बीजेपी के उम्मीदवार जीएस डामोर ने दस हजार वोटों से शिकस्त दी थी. जबकि इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को झाबुआ रतलाम लोकसभा सीट पर 90 हजार वोटों से हार के बावजूद झाबुआ विधानसभा सीट पर 7 हजार 298 वोटों की बढ़त हासिल हुई थी. यही कारण है कि जीएस डामोर के सांसद बनने के बाद खाली हुई झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत के लिए पार्टी के सीनियर लीडर कांतिलाल भूरिया पर ही दांव खेला है. जबकि बीजेपी ने इस बारह युवा चेहरे भानू भूरिया को मैदान में उतारा है. हालांकि दोनों दलों की ओर से इस बार जितना दम झाबुआ में जीत के लिए लगाया है. उसके बाद ये सीट दोनों दल के लिए टफ हो गई है, लेकिन कल घोषित होने वाले नतीजों के बाद ये साफ हो जाएगी कि झाबुआ में किसका जलवा चला और किसकों जनता ने नकारा.