झाबुआ विधान सभा उप चुनाव में भूरिया VS भूरिया, मतदाता किससे निभाएगा रिश्तेदारी..

झाबुआ विधान सभा उप चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. कांग्रेस अपने पुराने गढ़ को फिर फतह करने के लिए जुगत लगा रही है और बीजेपी अपनी सीट बचाने की जी-तोड़ कोशिश में हैं. कांग्रेस की ओर से सीएम कमलनाथ के रोड शो के बाद मंत्रियों की टीम यहां सक्रिय है. बीजेपी की ओर से युवा नेताओं से लेकर वरिष्ठतम नेता सुमित्रा महाजन तक के यहां प्रचार का कार्यक्रम तय है.

बीजेपी की रणनीति कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के ख़िलाफ वो माहौल बनाने रखने की है, जिसमें वो हाल ही में लोकसभा चुनाव हारे थे. बीजेपी प्रत्याशी भानु भूरिया के प्रचार के लिए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान दो दिन से इलाके में सक्रिय हैं. ये आदिवासी इलाका है. यहां समाज के साथ-साथ रिश्तेदारी के आधार पर भी वोट पड़ते हैं. इस बार क्योंकि कांग्रेस औऱ बीजेपी दोनों प्रत्याशी भूरिया हैं इसलिए जीत के लिए रिश्तेदारी फैक्टर बड़ा मायने रखेगी. मतदाता वोट देने से पहले ये देखते हैं कि किस प्रत्याशी ने उनसे कितनी रिश्तेदारी निभायी.
शिवराज की एंट्री
झाबुआ के रण में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एंट्री ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. सोमवार को शिवराज सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी भानू भूरिया के समर्थन में रोड शो किया, छोटी-छोटी सभाएं लीं, खेतों में जाकर बारिश से बर्बाद सोयाबीन की फसल देखी और किसानों को ढांढस बंधाया कि मामा उनके साथ है और मुआवज़े की लड़ाई लड़ेगा.

कांतिलाल पर वार, जेवियर से सहानुभुति
झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी की रणनीति ये है कि कांतिलाल भूरिया के खिलाफ जो माहौल है उसे बनाए रखा जाए और जनता के मन में जेवियर को लेकर जो सहानुभुति है उसे अपने पक्ष में किया जाए. फिलहाल झाबुआ उपचुनाव दोनों ही दलों के लिए चुनौती बन चुका है. हर हाल में दोनों ही दल चुनाव में अपना परचम लहराने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं. झाबुआ चुनाव के रण में कड़ी टक्कर जारी है. कांग्रेस भले भानु भूरिया को कमजोर प्रत्याशी मान रही हो लेकिन बीजेपी पूर्व सीएम शिवराज और सांसद गुमान सिंह डामोर के नाम पर चुनाव लड़ रही है. पिछले 9 महीनों में कमलनाथ सरकार की विफलताओं को जनता के बीच उठा रही है.


सबकी अपनी अलग कांग्रेस
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस पर निशाना साध गए. अपनी सभाओं में उन्होंने कहा कि दिल्ली से लेकर कांग्रेस अलग-अलग खेमों में बटी है. दिल्ली में सोनिया गांधी की कांग्रेस अलग है, राहुल गांधी की कांग्रेस अलग है. भोपाल में कितनी कांग्रेस हैं इसकी गिनती जारी है. कमलनाथ की अलग, सिंधिया की अलग, दिग्विजय सिंह की अलग, अरूण यादव की अलग कांग्रेस है.पूर्व सीएम शिवराज ने कहा झाबुआ में भी कांतिलाल की कांग्रेस अलग है. और जेवियर मेड़ा की कांग्रेस की अलग है.
शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस प्रत्याशी पर हमला करते हुए कहा कि कांतिलाल भूरिया परिवारवाद की राजनीति करते हैं. हर चुनाव में कांग्रेस की ओर से भूरिया परिवार से प्रत्याशी होता है, जबकि बीजेपी की ओर से हर बार नया चेहरा होता है. शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस प्रत्याशी कांति लाल भूरिया पर कटाक्ष किया कि पहले बाप, फिर बेटा, फिर बाप को टिकट. अरे जेवियर ने ऐसा कौन सा पाप किया कि उसे टिकट नहीं दिया जाता.

दो दिन का दौरा
इसके बाद शिवराज सिंह चौहान दो दिन कल्याणपुरा और झाबुआ ग्रामीण में प्रचार करेंगे. रात में उन्होंने झाबुआ शहर में लोगों से मुलाकात की. इसके बाद पूर्व सीएम कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले बोरी-राणापुर में प्रचार करेंगे. शिवराज ग्रामीण इलाकों में जितना पहुंचेंगे उतनी ज्यादा कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.