कमलनाथ सरकार का दावा- मध्य प्रदेश के घोटालेबाजों से पैसों की वसूली कर भेजेंगे जेल

मध्य प्रदेश की वर्तमान कमलनाथ सरकार पिछले 15 सालों से राज्य की सत्ता में रही बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों की पड़ताल में जुटी है. राज्य की कांग्रेस सरकार का दावा है कि पिछले पंद्रह साल में हुए घोटालों की जांच कराई जा रही है जिससे दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके. मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि बीजेपी सरकार के दौरान घोटालों की जांच तो हुई लेकिन असली दोषियों को बचा लिया गया यही कारण है कि इन घोटालों की फाइलें फिर से खोल दी गई हैं.

राज्य के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने इंदौर में मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछले घोटालों के साथ-साथ भाजपा की शिवराज सरकार के दौरान वृक्षारोपण में भी चार सौ करोड़ का घोटाला हुआ है उसकी भी जांच शुरू हो गई है. सिंहस्थ और व्यापम घोटाले की भी जांच चल रही है. इसी तरह इंदौर के महाराष्ट्र ब्राह्मण बैंक घोटाले की जांच भी दोबारा होगी. मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कोई भी घोटाला आने वाले दिनों में बचेगा नहीं और इन घोटालों के दोषियों को सीधे जेल भेजा जाएगा चाहे वो कितना ही बड़ा रसूखदार क्यों न हो साथ ही उनसे पैसे की वसूली भी की जाएगी.

ब्राह्मण सहकारी बैंक घोटाले की फाइलें फिर से खुलीं
इससे पहले पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक घोटाले की फाइलें खोली जाने की बात कही थी. इस घोटाले में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बड़े बेटे मिलिंद महाजन पर आरोप हैं. बता दें कि महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक में करीब 30 करोड़ का घोटाला हुआ था जिस दौरान ये घोटाला हुआ उस समय सुमित्रा महाजन के बेटे मिंलिंद महाजन बैंक के डायरेक्टर थे, उनके साथ सुमित्रा महाजन की निजी सचिव वंदना महस्कर के पति बसंत महस्कर भी संचालक मंडल में शामिल थे. सज्जन सिंह वर्मा ने इस घोटाले को लेकर कहा था कि 15 साल तक बीजेपी सरकार के दौरान ये घोटाला दबा रहा लेकिन अब कांग्रेस सरकार इसे फिर से खोलने जा रही है.

सौ गुना कीमत पर शिवराज सरकार ने खरीदे पौधे
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मंत्री गौरी शंकर शेजवार पर नर्मदा नदी के किनारे 6 करोड़ पौधे लगाने में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार ने 450 करोड़ रुपए के इस घोटाले को ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है. उनका आरोप है कि नर्मदा नदी के किनारे 15 हजार गड्ढे होने चाहिए थे लेकिन जांच में केवल 9 हजार गड्ढे ही पाए गए. वन मंत्री का आरोप है कि विश्व रिकार्ड बनाने के लिए ये कागजी वृक्षारोपण आनन-फानन में शिवराज सरकार ने 2 जुलाई 2017 को शुरु किया था. उनका कहना है कि एक दिन में इतने पौधे लगाना संभव ही नहीं है. साथ ही इसमें सबसे बड़ी अनियमितता ये थी की पौधों को उनकी वास्तविक कीमत से सौ गुना अधिक कीमत देकर खरीदा गया. उन्होंने कहा कि 20 रुपये कीमत के पौधे को 200 से अधिक रुपये में खरीदा गया था जो कि बेहद गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला है.