इंदौर के स्मार्ट मीटर प्रोजेक्‍ट की कायल हुई दुनिया, इसे देखने जर्मनी से आया एक दल

इंदौर. सफाई में देश के नंबर वन इंदौर शहर ने एक और कीर्तिमान गढ़ दिया है. इंदौर देश का पहला और अकेला ऐसा शहर बन गया है, जिसमें बिजली के एक लाख स्मार्ट मीटर लग गए हैं. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को देखने के जर्मनी का चार सदस्यीय दल मंगलवार को इंदौर पहुंचा. बिजली कंपनी ने एक साल पहले प्रायोग के तौर पर पहला स्मार्ट मीटर लगाया था और यह प्रयोग सफल रहा. जबकि इन मीटरों की बदौलत बिजली चोरी में आई कमी से प्रोत्साहित होकर बिजली विभाग ने धीरे-धीरे पूरे शहर को ही नए मीटरों के दायरे में लाने की कवायद शुरू कर दी. पहले उन हिस्सों में ये मीटर लगाए गए जहां बिजली चोरी ज्यादा हो रही थी.

विभाग की योजना शुरू में सिर्फ 70 हजार मीटर लगाने की थी, लेकिन इसे बढ़ाकर एक लाख कर दिया गया. देश के किसी भी शहर में इतनी संख्या में स्मार्ट मीटर नहीं लगे हैं. दिल्ली-मुंबई की निजी बिजली आपूर्ति कंपनियों ने ऐसे मीटर लगाए हैं, लेकिन उनकी संख्या कुछ हजार में ही है.

स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को देखने पहुंचा जर्मनी का दल
जर्मनी की संस्था केएफडब्ल्यू के चार सदस्यी दल ने मंगलवार को इंदौर का दौरा किया. भारत में ऊर्जा क्षेत्र में कार्य करने के लिए दल दस दिन के भ्रमण पर है. इसी क्रम में जर्मनी से ब्रिट हार्चेंके, एसिया आर्टेनी, शौकत घोष और हेमंत भटनागर इंदौर पहुंचे. उनका स्वागत मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पोलोग्राउंड ऑफिस पर एमडी और आईएएस अधिकारी विकास नरवाल ने किया. जर्मनी के दल ने सबसे पहले क्लीन सिटी इंदौर को देश में नंबर वन शहर होने पर बिजली कर्मचारियों को भी बधाई दी और कहा कि आप ऐसे शहर में पदस्थ हो, ये प्रसन्नता की बात हैं.

दल को प्रोजेक्टर के माध्यम से यहां स्मार्ट मीटर प्रणाली के साथ ही 33 केवी फीडरों की स्काडा प्रणाली की जानकारी दी गई, जिसमें स्काडा के इंदौर व उज्जैन में बिजली आपूर्ति मॉनिटरिंग सिस्टम और देश में सबसे बड़े स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट की विस्तार से जानकारी दी गई. इस दौरान दल ने इंदौर शहर की आधारभूत बिजली वितरण प्रणाली रिंग मैन सिस्टम का नक्शा और इसके माध्यम से रिंग रोड, पुराने इंदौर, बाईपास क्षेत्र में पिछले दस साल में प्रदान की जा रही बिजली व्यवस्था को देखा.

दल को एक लाइन में खराबी आने पर वैकल्पिक सप्लाई के बारे में भी जानकारी दी गई. यही नहीं, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने दल को रेवेन्यू मैनेजमेंट सिस्टम की जानकारी दी. इसके अलावा दल के चारों सदस्यों ने अपनी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए प्रबंध निदेशक विकास नरवाल और डायरेक्टर मनोज झंवर से प्रश्न भी पूछे.

15 राज्यों के अधिकारी भी देख चुके हैं प्रोजेक्ट
बिजली कंपनी के स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को देखने के लिए अब तक देश के 15 राज्यों के अधिकारी इंदौर आ चुके हैं. भारत सरकार की रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (आरईसी) और पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) जैसी एजेंसियों के अधिकारी भी इसे मॉडल प्रोजेक्ट मानकर देखने पहुंचे चुके हैं. इन अधिकारियों को स्मार्ट मीटर के लिए बने कंट्रोल रूम, रिमोट डिसकनेक्शन, संचार प्रणाली और राउटर के माध्यम से रेडियो तरंगों से रीडिंग मिल रही है.

स्मार्ट मीटर से रुक गई बिजली चोरी
स्मार्ट मीटर की खासियत है कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं कर सकता है. मीटर को हाथ लगाते ही टावर से मिलने वाले डेटा में जानकारी आने लगती है. चोरी करने वाले, बिल न भरने वाले के घर जाकर कनेक्शन काटने की जरूरत नहीं होती कंट्रोल रुम से बैठे-बैठे सप्लाई बंद हो जाती है. फीडर पर बिजली सप्लाई करने के बाद कितनी यूनिट का बिल जमा हो रहा है,ये भी पता चल जाता है. बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक स्मार्ट मीटर की बदौलत बिजली चोरी रुक गई है. इससे राजस्व वसूली में वृद्धि हो रही है. कनेक्शन काटने और जोड़ने के लिए भी फील्ड स्टाफ को चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे. यही नहीं, फीडर और ट्रांसफॉर्मरों के स्तर पर सप्लाई और बिल की गणना भी संभव हो सकी है.