गाय के शव दफनाने का तरीका नहीं पता, इसलिए छह साल से इन्हीं शवों को बेचकर चला रहे खर्च

जिस जीवदया गोशाला से बीते एक साल में 2131 गायें गायब हुईं, उसका संचालन 5-6 साल से गायों के शव बेचकर किया जा रहा है। सोमवार को जब गायों के गायब होने का मामला सामने आया तो पुलिस, पशु पालन विभाग के अधिकारी और सामाजिक संगठनों के लोग गोशाला पहुंच गए। उनके सवालों के जवाब में खुद गोशाला प्रबंधक रामदयाल नागर ने शव बेचकर गोशाला चलाने का खुलासा किया।

नागर के मुताबिक गोशाला के लिए जो अनुदान मिलता है उससे संचालन नहीं हो पाता है, इसीलिए गोशाला में मरने वाली गायों के शव उठाकर हम मैदान में फेंक देते हैं। फिर इनकी चमड़ी-हड्‌डी निकलवाकर बेच देते हैं। इसके लिए गोशाला ने शहर के ही एक चमड़ा कारोबारी से गठजोड़ किया है। जब पुलिस ने पूछा कि शव को कैसे दफन करते हो तो गोशाला वाले जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता, हम तो सालों से शव मैदान में फेंक देते हैं।

गुस्साए प्रदर्शनकारी एफआईआर की मांग पर अड़े थे। उन्होंने हाईवे जाम करने की भी चेतावनी दी। इसके बाद पुलिस ने शाम को दो गायों का पीएम कराया। पीएम करने वाली पशु चिकित्सक ने गायों के कमजोर और कुपोषित होने की बात कही है। मंगलवार को 3 और गायों का पीएम किया जाएगा। इसके बाद रिपोर्ट आएगी।

सोमवार दोपहर करणी सेना, अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान समिति, वीर भोग्य वसुंधरा और भगवा शक्ति परिषद समिति समेत शहर के पशु प्रेमी मिलाकर करीब 200 लोग गोशाला पहुंचे थे। यहां पुलिस पहले से मौजूद थी। पुलिस के रोकने बावजूद गुस्साई भीड़ गोशाला में घुस गई। उन्होंने एसडीओपी अंजू चौहान, पशु पालन विभाग के उपसंचालक डॉ. अजय रामटेके और नायब तहसीलदार मुकेश राज को यहां की अव्यवस्थाओं के बारे में बताया। पशु प्रेमी गोशाला को बंद कराकर संचालक के खिलाफ गो हत्या का प्रकरण दर्ज कराने की मांग कर रहे थे। हालांकि पुलिस ने आवेदन लेकर जांच कराने के बाद एफआईआर करने की बात कही है।

गो मौजूद गायों की संख्या समेत दूसरी तमाम व्यवस्थाओंशाला में की पड़ताल के लिए सात सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी तीन दिन में जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। उसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।