6 दिसम्बर सुबह से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जहां एक और कट्टरपंथी संगठन इसे शौर्य दिवस के रूप में मना रहे है वहीं दूसरी और सवाल कर रहे है न्याय व्यवस्था को लेकर.
इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक पुराना वीडियो तेजी से वायरल हुआ है जिसमें वह भीड़ को उकसाते हुए नजर आते है और कहते है कि अयोध्या की जमीन से नुकीले पत्थरों को उखाड़ फैंकना होगा और जमीन को समतल करना होगा.
6 दिसम्बर हजारों परिवारों की तबाही का दिन था. धर्म के नाम पर सैंकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. मंदिर-मस्जिद के विवाद में देश के आम आदमी को निशाना बनाकर राजनीतिक प्रयोग किया गया था जो आजतक बदस्तूर जारी है.
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि किस प्रकार से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लोगों को उकसाते हुए कहते है कि
कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया है उसका अर्थ में बतलाता हूं, सुप्रीम कोर्ट हमें कारसेवा करने से रोकता नहीं है बल्कि वह हमें कारसेवा करने का अधिकार देता हैं. रोकने का तो सवाल ही नहीं उठता. कल अयोध्या में कार सेवा करके सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्णय की अवहेलना नहीं होगी. आगे वाजपेयी कहते है कि कारसेवा करके हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करना है. इसके अलावा वह अन्य तर्क देकर एक बड़ी भीड़ को उकसाते है कि उन्हें अयोध्या जाकर कार सेवा करनी है.
आज इतिहास जानता है कि उसके बाद देश में एक बड़ा नरसंहार खेला गया और उसी राम मंदिर को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी सत्ता तक पहुंची.
बेरोजगार युवाओं की लम्बी कतारें, इलाज के अभाव में मरते लोग, अस्पतालों में लगी लम्बी लाइनें, साफ पीने का पानी भी आम आदमी तक नहीं पहुंच पाना जैसे ज़मीनी परेशाानियों से परे जाकर देश का नेतृत्व मंदिर और मस्जिद के नाम पर मासूम लोगों को अपनी हवस का शिकार बना रहा है.