कांग्रेस ने पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की विरासत का लाभ फिर से लेने की तैयारी शुरू कर दी है. नेहरू के जन्मदिवस 14 नवंबर से पहले इसका खाका तैयार किया गया है. कांग्रेस पहले ही बीजेपी के हाथ सरदार पटेल की विरासत को खो चुकी है. कांग्रेस की इस रणनीति की वजह सोशल मीडिया में नेहरू के सिलसिले में आ रहा पॉजिटिव फीडबैक है.
कांग्रेस को लग रहा है कि फूलपुर में अगर वह चुनाव जीतती है तो 2019 के चुनाव में नेहरू के योगदान का बखान किया जाए. जिस तरह 2014 में नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की विरासत को लेकर एक अभियान चलाया था. कांग्रेस के पास सरदार पटेल वाले बीजेपी के दांव का काउंटर सिर्फ नेहरू की विरासत है. सोशल मीडिया में कांग्रेस की तरफ से नेहरू के कामों को लेकर नया अभियान देखने को मिल रहा है.
उत्तर प्रदेश मे लोकसभा के लिए दो सीट खाली हुई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई फूलपुर सीट. सूत्रों के मुताबिक पहले बीएसपी प्रमुख मायावती के इस सीट से लड़ने की चर्चा थी. लेकिन बीएसपी कोई उपचुनाव नहीं लड़ना चाहती. इसलिए गोरखपुर सीट पर समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सीट मानी जाने वाली फूलपुर सीट पर कांग्रेस अपनी किस्मत अजमाएगी.
कांग्रेस की तरफ से अच्छे उम्मीदवार की तलाश के लिए कवायद तेज हो गई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को उम्मीदवार तलाश करने का काम सौंपा गया है. सूत्रों की माने को कई लोगों से प्रदेश अध्यक्ष ने बात की है. बनारस के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा के नाम की चर्चा पार्टी के भीतर चल रही है.
इसके अलावा बलरामपुर से पूर्व सांसद और कांग्रेस के यूपी चुनाव में पूर्वांचल के चर्चित चेहरे रिजवान जहीर का भी नाम लिया जा रहा है. रिजवान जहीर यूपी चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे. इससे पहले वो समाजवादी पार्टी और बीएसपी मे रह चुके है. रिजवान जहीर से पार्टी के नेताओ ने बात तो की है लेकिन अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.
2014 के आम चुनाव मे केशव प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का परचम लहराया. बीजेपी तकरीबन तीन लाख वोट से जीती और केशव प्रसाद मौर्य को तकरीबन पांच लाख तीन हजार वोट मिले. इस सीट में पांच विधानसभा सीट है जिसमें इलाहाबाद पश्चिम और उत्तर, फाफामऊ सोरांव और फूलपुर है. दरअसल कांग्रेस का उम्मीदवार अगर जीतता है तो