अहमदाबाद में एक पाल्दी नाम का क्षेत्र है, जो पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. हम कह सकते है की वजह वही पुरानी है जो चुनाव के वक्त कही न कही सामने आ ही जाती है. चलिए थोड़ा खुलकर बात करते है, हिन्दू और मुस्लिम की जंग, चुनाव के दौरान अक्सर देखा गया है की हिन्दू का हिंदुत्व खतरे में आ जाता है और मुसलमान का इस्लाम खतरे में आ जाता है. और इन चीजो से कही न कही राजनेतिक गलियारों को फायदा होता है.
गुजरात में नौ और 14 दिसंबर को चुनाव है. ऐसे में अहमदाबाद के पाल्दी इलाके में कुछ दिन पहले पोस्टर लगे थे. इन पोस्टरों में लिखा गया था कि ये इलाका ‘मुस्लिम बस्ती’ हो गया है. इसके लिए देश की सबसे बड़ी मुस्लिम बस्तियों में से एक जुहापुरा का उदाहरण देते हुए बताया गया था कि पाल्दी को जुहापुरा होने से बचाइए.
अभी इस पोस्टर पर विवाद खत्म ही हो रहा था कि एक नया विवाद पैदा हो गया. इस बार पोस्टर की जगह ले ली क्रॉस के निशान ने. 12 नवंबर को पता चला कि पाल्दी के कुछ घरों और सोसाइटी के बाहर किसी ने क्रॉस का निशान बना दिया है. इन सोसायटियों में डिलाइट अपार्टमेंट, अमन कॉलोनी, नशेमैन अपार्टमेंट, टैगोर फ्लैट, आशियाना अपार्टमेंट और तक्षशिला कॉलोनी शामिल है, जहां हिंदू और मुस्लिमों की मिली-जुली आबादी रहती है. अहमदाबाद ने 2002 में गुजरात दंगों का भी दंश झेला है, जिसके पीड़ित लोग इन इलाकों में भी रहते हैं. अब क्रॉस का निशान देखकर वो लोग दहशत में आ गए हैं. दंगों का दंश झेलकर डिलाइट अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों का कहना था कि इसका मकसद मुस्लिम घरों की पहचान करना है, ताकि चुनाव के वक्त इसका फायदा उठाया जा सके. इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग और पुलिस कमिश्नर से शिकायत भी दर्ज करवाई है.
इस मामले में गुजरात के कारोबारी जफर सरेशवाला ने आरोप लगाया कि ये काम बीजेपी के स्थानीय विधायक राकेश शाह की छवि खराब करने के लिए किया गया है. सरेशवाला ने कहा कि इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि उन लोगों की शिनाख्त की जाए, जो हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहते हैं. गुजरात के मुख्य चुनाव आयुक्त बीबी स्वैन ने भी सरेशवाला और डिलाइट अपार्टमेंट के लोगों की ओर से लिखे गए पत्र की पुष्टि की है.
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ये निशान खुद नगर निगम की ओर से लगाए गए हैं. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जिन घरों से नगर निगम कूड़ा नहीं उठवा पाया है, उसकी पहचान के लिए ये निशान लगाए गए हैं. हालांकि नगर निगम ने इस बात की पुष्टि नहीं की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वास्थ्य अधिकारी नितिन प्रजापति ने कहा है कि ये निशान सफाई अभियान के तहत लगाए गए हैं. वहीं नगर आयुक्त मुकेश कुमार का बयान इससे अलग है. उनका कहना है कि ये निशान निगम कर्मचारियों के निशानों से अलग है.