योगी आदित्यनाथ-“धर्मनिरपेक्ष शब्द आजादी के बाद सबसे बड़ा झूठ है”, तो क्या गीता में लिखा धर्मनिरपेक्ष शब्द झूठ है..?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि धर्मनिरपेक्ष शब्द आजादी के बाद सबसे बड़ा झूठ है. उनका मानना है कि इस शब्द को जन्म देने वाले लोगों को भारत के नागरिकों के साथ माफी मांगनी चाहिए.

योगी आदित्यनाथ और इन शब्दों को जन्म देने वालों और इन्हें मानने न मानने वालों की बात करने से पहले सेक्युलर शब्द की उत्पत्ति के बारे में जान लीजिए. लैटिन मूल से आया ये शब्द फ्रांस की क्रांति के दौरान प्रचलन में आया. चर्च के अत्याचारों और राजा ईश्वर का दूत होता है, धारणा को खत्म करते हुए धर्मनिरपेक्ष शासन की अवधारणा रखी गई.

सिर्फ धर्मनिरपेक्ष ही नहीं फ्रांस की क्रांति ने हमें मानवाधिकार और लेफ्ट-राइट विंग पॉलिटिक्स जैसे शब्द भी दिए. जिनके बिना आज की हमारी राजनीति नहीं हो सकती है. इसी फ्रांस की क्रांति ने महिलाओं को विक्टोरियन युग के कॉर्सेट को छोड़ पैंट पहनने की हिम्मत दी.
yogi ji kya gita me likha hua secular shabd bhi galat hai
इस धर्मनिरपेक्षता ने देश के साथ कितना बड़ा धोखा किया एक चुटकुले से समझा जा सकता है. 1947 में एक साथ दो देश आजाद हुए थे. एक धर्म के आधार पर बना और चला, दूसरा धर्मनिरपेक्ष था. एक देश मंगल तक पहुंच चुका है और दूसरा अभी अपने पड़ोसी के यहां घुसने की फिराक में है.
भारत ही क्यों दुनिया के तमाम देश हैं. पेट्रोल के दम पर फलफूल रहे इस्लामिक मुल्कों को छोड़ दीजिए तो कितने इस्लामिक देश दुनिया में शांति से रह रहे हैं. यूनाइटेड नेशन्स की महाशक्तियों अमेरिका, फ्रांस, यूके, चीन और रूस के शासन का धर्म क्या है?

भारत के धर्मनिरपेक्ष होने के चलते ही ये संभव है कि देश का प्रथम नागरिक 5 दिन की छुट्टी लेकर, अपने गांव जाकर दुर्गापूजा करता है और इफ्तार की दावत में भी शरीक होता है. देश का सिख प्रधानमंत्री दशहरे के दिन रामलीला के मंच पर जाता है और इससे न सिखों का धर्म खतरे में आता है न हिंदू धर्म.

वो सब छोड़ते हैं. योगी आदित्यनाथ के कपड़ों, बातों और व्यवहार से उनकी धार्मिकता साफ झलकती है. निश्चय ही उन्होंने हिंदू धर्म और उसके दर्शन का गहरा अध्ययन भी किया होगा. फिर भी पूरी विनम्रता के साथ उन्हें याद दिलाने का मन है कि भगवद् गीता हिंदू धर्म का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो उसके किसी अवतार ने खुद कहा है. गीता की शुरुआत धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे से होती है. मगर उसके अंत में सोलवें अध्याय के 66वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण खुद कहते हैं. सर्व धर्मान परित्यज्य माम् एकम शरणं ब्रजः

सभी धर्मों का परित्याग करना यानी धर्मनिरपेक्ष हो जाना. इस लिहाज से देखें तो गीता के अंत में कृष्ण ने धर्मनिरपेक्ष होने की बात कही है. योगी जी, अभी भी धर्मनिरपेक्ष शब्द की उत्पत्ति करने वाले के लिए वहीं विचार रखेंगे या कुछ बदलना चाहेंगे.