उर्दू प्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया, कहा- कांग्रेस के लिए अब आगे क्या?

नई दिल्ली: तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) द्वारा आयोजित रैली में एक गैर-कांग्रेसी, गैर-बीजेपी समूह के स्पष्ट रूप से उभरने से उर्दू मीडिया में बहुत उत्साह रहा, लेकिन यह कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान नहीं भटका सका, जो अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर है.

‘भारत जोड़ो यात्रा’ और खम्मम में बीआरएस की रैली- ऐसे कार्यक्रम जिसमें विपक्षी दल के कई नेताओं ने हिस्सा लिया – 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्षी एकता की संभावनाओं और कांग्रेस की भूमिका के बारे में काफी कुछ बयां करता है.

उर्दू प्रेस का ध्यान खींचने वाले अन्य मुद्दों में मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच का विवाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और हैदराबाद के अंतिम निज़ाम का निधन की खबरें शामिल थे.

इंकलाब ने उसी दिन केसीआर, केजरीवाल, मान और विजयन की एक तस्वीर के साथ प्रकाशित खबर में बीआरएस की रैली को विपक्ष द्वारा ‘‘शक्ति प्रदर्शन’’ करार दिया. तस्वीर में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी थे.

सियासत ने 20 जनवरी के अपने संपादकीय में इस रैली को विपक्षी एकता के तौर पर पेश किया और कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की जनता की राय गुजरात में अपने चुनावी प्रदर्शन के बाद बदल गई है, जिससे बीजेपी को जबरदस्त फायदा पहुंचा है.

अखबार ने यह भी लिखा कि जहां, कई क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के साथ खड़ी हैं वहीं, कई अन्य इसका विरोध भी कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में, जब तक पार्टियां लचीली नहीं होंगी, विपक्षी एकता संभव नहीं होगी.

बहरहाल, विपक्षी खेमे से सबसे बड़ी खबर कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से आती रही, जो अब अपने अंतिम पड़ाव यानी जम्मू-कश्मीर में प्रवेश कर चुकी है.

इंकलाब ने 17 जनवरी के अपने संपादकीय में लिखा, ‘‘यात्रा के बाद क्या होगा’’. संपादकीय में ये भी कहा गया है कि यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन किसी को भी इसके ऐतिहासिक पहल होने पर कोई संदेह नहीं है.

संपादकीय में, यात्रा के दौरान ‘‘प्रशासनिक कौशल’’ की भी सराहना की गई, जो इसके प्रबंधन में जुटा हुआ था. ये भी कहा गया कि शुरू से ही बदनाम करने की कोशिशों के बावजूद यात्रा ‘‘सफल’’ रही है.

उसी दिन, इंकलाब ने पहले पेज की मुख्य खबर में, ‘‘राहुल गांधी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ समझौता करने के बजाय सिर कलम कराने वाले’’ बयान को छापा था.

20 जनवरी को सियासत के पहले पेज पर लीड खबर में कहा गया है कि यात्रा केंद्र शासित प्रदेश में दाखिल हो गई है. इस खबर को राहुल गांधी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की एक तस्वीर के साथ चलाया गया. इस फोटो में, फारूक अब्दुल्ला के हाथों में एक गदा थी.

राहुल द्वारा अपने चचेरे भाई वरुण के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाने से संबंधित संपादकीय में, इंकलाब ने कहा कि एक विचार यह भी हो सकता है कि वरुण को शामिल करने से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को लाभ मिले, इस तरह के कदम के फायदे से ज्यादा नुकसान थे. इसमें कहा गया है कि वरुण के बारे में लोगों की धारणा को देखते हुए कांग्रेस के लिए उन्हें दूर रखना समझदारी होगी.