13 साल पहल हुए झायड़ा गांव के रमेश के एनकाउंटर को कोर्ट ने फर्जी माना, दो पुलिस वालों को उम्रकैद

मृतक के पास न हथियार था न उसका कोई क्रिमिनल रिकाॅर्ड इस आधार पर कोर्ट ने पुलिस वालों के सेल्फ डिफेंस में गोली चलाने की बात के दावे को खारिज किया।

13 साल पहले 2 जुलाई 2007 की दोपहर 3.30 बजे हुए झायड़ा गांव के रमेश के एनकाउंटर को कोर्ट ने फर्जी माना है। जिला जज राजेश कुमार गुप्ता ने दो पुलिस कांस्टेबल को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

दो पुलिसकर्मी धीरेंद्र मंडलोई और रतनसिंह बारेला एक अन्य व्यक्ति के साथ गांव में गए थे। पुलिस वालों ने दावा किया था कि मुखबिर से अपराध होने की सूचना पर गए थे और मौके पर सेल्फ डिफेंस में गोली चलाना पड़ी। कोर्ट ने सेल्फ डिफेंस के दावे को खारिज कर दिया। क्योंकि मृतक रमेश के पास न कोई हथियार था न उसका कोई क्रिमिनल रिकार्ड था। धीरेंद्र और रतनसिंह को जेल भेज दिया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक आरिफ शेख ने की। जानकारी मीडिया सेल प्रभारी सूरज बैरागी ने दी।

रमेश पत्नी व अन्य एक के साथ झायड़ा जा रहा था, तब लगी थी गोली

हत्या की रिपोर्ट मेघनगर थाने में दर्ज हुई थी। रमेश, उसकी पत्नी वेसाबाई और सोभान बारिया निवासी मेहंदीखेड़ा के एक मोटर साइकिल से मेघनगर से झायड़ा जा रहे थे। पीछे-पीछे रमेश का भाई टीटू था। उसके साथ कटिया, पेमा वसुनिया और जेलु थे। छोटा पुलिया और तिराहे के पास दो पुलिस वाले व एक और व्यक्ति ने रमेश को पकड़ने की कोशिश की। एक पुलिसकर्मी ने बंदूक से फायर किया जो रमेश काे लगा। रमेश वहीं गिर पड़ा। इसके बाद पुलिस वाले मेघनगर की तरफ भाग गए। रमेश की मौत हो चुकी थी। पुलिस जांच में गोली चलाने वाले की पहचान आरक्षक धीरेंद्रसिंह पिता गुलाबसिंह मंडलोई और साथी की रतनसिंह पिता काहरिया बारेला के रूप में हुई।

राजनीतिक मुद्दा बनी थी घटना, हिंसा भी हुई थी

साल 2007 में ये एनकाउंटर जिले में राजनीतिक मुद्दा बन गया था। सरकार भाजपा की थी और ये सभी गांव कांग्रेस के प्रभाव वाले थे। कांग्रेस नेताओं ने यहां धरना दिया। तीन दिन तक भोपाल, दिल्ली से कई नेता आए। इसके पहले गांव वाले और पुलिस आमने-सामने हो गए थे। गांव वाले शव लेकर अंतरवेलिया चौकी की ओर जाने लगे थे। वो शव को चौकी में जलाना चाहते थे। पुलिस ने आंसू गैस और लाठिया चलाई तो ये लोग शव को बीच रास्ते में छोड़कर गांव चले गए। तीसरे दिन अंतिम संस्कार हो पाया था। वो भी दोनों पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के बाद।