नोटबंदी का 1 साल: असफलता को ‘राष्ट्रवाद’ का नाम देकर बीजेपी 50 हजार लोगों से गवाएगी राष्ट्रगान

8 नवंबर को नोटबंदी को पूरा एक साल होने जा रहा है , इस मौके पर विपक्ष जहां काला दिवस मनाने की तैयारी मे हैं. वहीं सत्ता पक्ष जश्न मनाकर इसकी नाकामयाबी को ढकने की कोशिश करेगा. इसी खींच तान के बीच राजस्थान की वसुंधरा सरकार राष्ट्रवाद की आड़ में नोटबंदी की नाकामयाबी को छुपाने की कोशिश करेंगी.
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार भव्य समारोह का आयोजन करने की तैयारी कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक नोटबंदी की पहली सालगिरह के मौके पर जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में करीब 50 हजार लोगों से एक साथ राष्ट्रगान और राष्ट्र गीत गवाया जाएगा.

इस कार्यक्रम में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चीफ गेस्ट के रूप में शामिल होंगी. इस भव्य समारोह का आयोजन राजस्थान यूथ बोर्ड और आरएसएस समर्थित हिंदू आध्यात्मिक और सेवा फाउंडेशन के द्वारा किया जा रहा है. इसमें 400 स्कूल के छात्रों को बुलाया गया है.
on 8th nov bjp is about to singing song from people
नोटबंदी के जश्न के तौर पर आयोजित किए जा रहे इस खास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ‘परिवार, पर्यावरण और देश के लिए प्यार का आह्वान करना’ है. समारोह में कल्याणजी-आनंदजी फेम बॉलीवुड संगीतकार आनंदजी हिंदी फिल्मों के देशभक्ति गीत बजाएंगे. दो घंटे के इस कार्यक्रम में योग भी कराया जाएगा.

राजस्थान सरकार के इस कार्यक्रम पर विपक्ष ने हमला बोला है. टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) के मुताबिक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी प्रेसिडेंट सचिन पायलट ने कहा है कि इस कार्यक्रम का आयोजन करके बीजेपी नोटबंदी की असफलता को छिपाने की कोशिश कर रही है.

बता दें कि इसके अलावा कुछ दिनों पहले जयपुर नगर निगम अपने कर्मचारियों को हर रोज सुबह राष्ट्रगान और शाम को राष्ट्रगीत गाने का निर्देश दे चुका है. नगर निगम का कहना है कि इससे निगम के कर्मचारियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और देशभक्ति की भावना जगेगी.

नगर निगम के इस फैसले के बाद जयपुर के मेयर अशोक लाहोटी ने कहा था कि जिन्हें राष्ट्रगान से दिक्कत है, वह पाकिस्तान जाएं. मेयर लाहोटी ने कहा था, ‘जिस देश में रहते हो, उस देश के राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का भी विरोध करना है, बिल्कुल करें, इसके लिए कोई मना नहीं है. फिर पाकिस्तान जाएं. मैं अगर नगर निगम का काम कर रहा हूं और नगर निगम का विरोध करूं तो इसका कोई औचित्य नहीं है.’