झाबुआ में नहीं दिख रही बीजेपी, पूरा चुनाव प्रचार अभियान ही हुआ फ्लॉप

झाबुआ उपचुनाव में मतदान को मात्र 10 दिन शेष बचे हैं और बीजेपी के प्रचार अभियान का कोई अता-पता नजर नहीं आ रहा है। अपने आक्रामक चुनाव प्रचार और ठोस रणनीति के लिए जानी जाने वाली बीजेपी ने झाबुआ में समय से काफी पहले सरेंडर कर दिया है। झाबुआ की गलियां और हाट-बाज़ार जहाँ कांग्रेस के झंडों और पोस्टरों से भरे पड़े हैं, वहीं बीजेपी समर्थक भी इस बार अपने घरों या व्यापारिक स्थलों पर बीजेपी का झंडा या पोस्टर लगाने से परहेज कर रहे हैं।

सोशल मीडिया की बात करे तो कांग्रेस जहाँ पूरी तरह से आक्रामक और सीधे वार के मूड में है वहीं बीजेपी का कहीं नामों निशान नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस के पोस्टर वार से घबराई बीजेपी जवाब देने या दो-दो हाथ करने की बजाय डर कर शिकायत करने तक पहुँच गयी। बीजेपी का इस तरह से सोशल मीडिया से गायब हो जाना भी हैरान करता है।

हमारे संवाददाता ने जब स्थानीय लोगों से बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन और चुनावी मैदान से गायब होने पर बातचीत करना चाही तो कैमरे के सामने बेशक लोग कुछ भी बोलने से बचते रहे लेकिन कैमरे के पीछे लोगों में बीजेपी के टिकट वितरण और आपसी रस्साकसी को लेकर खासी नाराजगी नजर आई।

बीजेपी के गढ़ कल्याणपुरा में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए एक युवा से जब हमने बीजेपी छोड़ने की असली वजह पूछी तो उसका साफ़ कहना था की झाबुआ में बीजेपी को वोट देने से हमारे क्षेत्र का विकास रुकता है वहीं कांग्रेस को वोट देने से हमें अगले चार साल तक फायदे ही फायदे हैं।

झाबुआ के स्थानीय युवाओं से शिवराज की पिछली सरकार और कमलनाथ की वर्तमान सरकार के कामकाज पर बात करो तो वो बीजेपी के 15 साल के शासन को 100 में से 15 नंबर देते हैं लेकिन कमलनाथ के 10 महीने के शासन को 100 में से 95 नंबर देकर वर्तमान कमलनाथ सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखाई देते हैं। बीजेपी ने कर्जमाफी को लेकर जितने भी भ्रम फैलाये उनका झाबुआ में कोई असर नहीं दिखाई देता क्योंकि यहाँ ऐसे किसानों की तादात बहुत ज्यादा है जो सामने आकर कहते हैं की उनका कर्जा माफ़ हुआ है।