कोरोना काल में फीस विवाद पर जबलपुर हाई कोर्ट का फैसला

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए बंद कराए गए स्कूलों की फीस के मामले में अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा है कि स्कूल ट्यूशन फीस से ज्यादा किसी भी प्रकार की वसूली नहीं कर सकते।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्कूल इस साल ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि कोरोना काल में किसी भी स्टूडेंट को स्कूल से निकाला नहीं जा सकता। यदि कोई स्कूल संचालक ऐसा करता है तो वह हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी माना जाएगा। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्कूल किसी भी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकते।

CBSE ने हाईकोर्ट में कहा था: प्राइवेट स्कूलों को मान्यता पैसा कमाने के लिए नहीं दी

आपको बता दें कि इससे पहले 24 अगस्त को हाईकोर्ट में स्कूल फीस को लेकर सुनवाई हुई थी। जिसमें सीबीएसई की ओर से जवाब पेश किया गया, CBSE का कहना है कि जब वो किसी संस्था को स्कूल खोलने की मान्यता देते हैं, तब यह स्पष्ट कहा जाता है कि स्कूल एक चैरिटेबल ट्रस्ट होगा, यह पैसा कमाने का धंधा नहीं हो सकता और यदि पैसा कमाने जैसी कोई बात सामने आएगी तो मान्यता रद्द की जा सकती है।

इससे पहले मामले में 28 जुलाई को हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को सख्त हिदायत दी थी कि कोरोनाकाल में स्कूल फीस जमा न करने के आधार पर किसी भी स्टूडेंट का नाम नहीं काटा जाए। गौरतलब है कि निजी स्कूल संचालक लॉकडाउन और कोरोना संकट के दौरान स्कूल बंद रहने के बावजूद पूरी फीस लेना चाहते थे। इसके पीछे लॉकडाउन में भी बच्चों की ऑनलाइन क्लास लगाने का हवाला दिया गया। जिसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने निजी स्कूलों को झटका दिया है।