सरकार के खोखले दावो के बिच, भारतीय छात्रों ने अमेरिका में पढ़ने के लिए निवेश कर दिए 42835 करोड़ रुपये

भारत में उच्च शिक्षा को लेकर बड़े-ब़ड़े दावे जरूर किए जाते रहे हैं लेकिन एक ऐसी सच्चाई सामने आई है जिसको जानने के बाद आप हैरान रह जाएंगे. जब हम उच्च शिक्षा की बात करते हैं तो हमारे सामने आईआईटी, आईआईएम और कुछ कॉलजों और विश्वविद्यालों की तस्वीर हर साल सामने आती है. देश में उच्च शिक्षा का बजट 25 हजार करोड़ है. अब आपको लग रहा होगा कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी हमारी शिक्षा की हालत क्यों नहीं सुधर रही है. लेकिन एक अखबार में छपी रिपोर्ट की मानें तो भारत के ही छात्रों ने अमेरिका के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में पढ़ने के लिए 2016-17 में 6.54 अरब डॉलर यानी 42835 करोड़ रूपये में निवेश कर डाले.

एक ओर तो हमारी शिक्षा की हालत साल दर साल खराब होती चली जा रही है जिसको ठीक करने के लिए सरकारों की ओर से कोई खास कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में न तो पढ़ाने के लिए शिक्षक हैं और न किताबें. यानी हमारे देश में खराब शिक्षा व्यवस्था के चलते भारतीय छात्र बाकी दुनिया के लिए एक बाजार बन गए हैं. अमेरिका के अलावा भी बहुत से छात्र दुनिया के बाकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में जाते हैं. अगर यह पूरा आंकड़ा जोड़ दिया जाए तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश का कितना रुपया बाहर जा रहा है.
जून में हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में चपरासी के 92 पदों के लिए 22 हजार आवेदन किए गये. इस नौकरी के लिए आवेदन करने वालों में एमफिल, एमबीए और एमए की डिग्री लेने वाले भी लोग भी शामिल थे.
indian students invested 42835 crore for higher education and govt has nothing
वहीं साल 2015 में यूपी विधानसभा में चपरासी के पद के लिए 368 वैंकेंसी के लिए 23 लाख लोगों ने आवेदन किया जिनमें 255 पीएचडी, 1.5 लाख बीटेक-बीए-बीकॉम और 25 हजार एमफिल और एमकॉम की डिग्री वाले शामिल थे. अब अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन लोगों के पास वो तो पढ़ने के लिए विदेश चले जाते हैं. लेकिन बाकी जो लाखों रुपया यहां की निजी या सरकारी विश्वविद्लायों में खर्च कर देते हैं उनको कितनी गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जा रही है ये बड़ा सवाल है