शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच रुमाल झपट का खेल चालू, ग्वालियर मेला अटका

भोपाल। जनहित के लिए जान दांव पर लगाने का ऐलान करने वाले नेता श्रेय के लिए अक्सर जनहित को दांव पर लगा देते हैं। ग्वालियर व्यापार मेले के साथ ऐसा ही हो रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह के बीच मेला फंसकर रह गया है। 

ग्वालियर के व्यापारी भोपाल आकर गिड़गिड़ा रहे हैं

ग्वालियर व्यापार मेले के आयोजन को लेकर मंगलवार को कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट), ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ एवं ऑटोमोबाइल व्यावसायियों ने भोपाल आकर मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा से मुलाकात की। मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र भदकारिया, ऑटोमोबाइल व्यावसायी एवं कैट के प्रदेश महामंत्री मुकेश अग्रवाल, संजय गर्ग, रामस्वरूप शिवहरे, अविचल जैन, मेला व्यापारी संघ के संयोजक उमेश उप्पल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल पुनियानी, उपाध्यक्ष कल्लू पंडित के साथ मिलकर मंत्री सकलेचा से उनके निवास पर भेंट की।

ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के बीच समस्या क्या है 

सबसे बड़ी समस्या यह है कि आप दोनों भारतीय जनता पार्टी के नेता है। शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और ग्वालियर चंबल संभाग के मामले में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपना ईगो है। ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि ग्वालियर मेले के आयोजन और छूट की घोषणा वह खुद करें, ताकि जनता के बीच उनकी महाराज वाली छवि बनी रहे।

मुख्यमंत्री होने के नाते आयोजन और ऑटोमोबाइल सेक्टर में टैक्स छूट की घोषणा का अधिकार मुख्यमंत्री का है। शिवराज सिंह चौहान ऐसा कोई भी मौका कभी नहीं छोड़ते। दोनों के बीच रुमाल झपट जैसा कुछ चल रहा है। 15 जनवरी नजदीक आ गई रूमाल अभी भी जमीन पर पड़ा है। पार्टी अनुशासन वाली है, कोई सच नहीं बोल सकता ​इसलिए कोरोना का बहाना बनाया जा रहा है।