गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को CBI का स्पेशल डायरेक्टर के रूप में नियुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 28 नवंबर को अपना फैसला सुनाएगा. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने याचिका का विरोध करते हुए राकेश अस्थाना की नियुक्ति को जायज ठहराया. अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, ‘अस्थाना का चयन सबकी सहमति से हुआ. जिस मामले का हवाला दिया जा रहा है, उसकी वजह से नियुक्ति नहीं रोकी जा सकती. डायरी में नाम होना नियुक्ति रोकने का आधार नहीं हो सकता.
वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की पहले ही संदिग्ध नियुक्ति को लेकर आश्चर्यजनक खुलासे किए. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत उनके अतिरिक्त हलफनामे में भूषण ने कहा कि अस्थाना की ‘मनमाने तरीके से’ CBI के विशेष निदेशक के रूप में नियुक्त करना अवैध है और यह नियुक्ति माननीय न्यायालय द्वारा निर्धारित मानकों के सिद्धांत का उल्लंघन करती है.
शुक्रवार को केंद्र ने उनकी नियुक्ति को सही ठहराते हुए कहा कि उनका कैरियर उपलब्धियों से भरा हुआ है. उन्होंने 40 से ज्यादा हाईप्रोफाइल मामलों की जांच की है, जिनमें कोयला घोटाला, किंगफिशर एयर लाइंस से जुड़े मामले, अगस्ता वेस्टलैंड, कालेधन व मनी लांड्रिंग से जुड़े कई मामलों की जांच प्रभावी तरीके से की है.
भूषण ने अस्थाना की इस नियुक्ति को अवैध बताया. उनका कहना है कि अस्थाना का नाम स्टर्लिंग बायोटेक की डायरी में है जिसके खिलाफ स्वयं CBI ने FIR दर्ज कराई है. गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की तरफ से दायर याचिका में अस्थाना की नियुक्ति को अवैध और मनमाना बताया गया है.
भूषण ने दायर अपने हलफनामे में किए गए सबसे बड़े खुलासे में से एक में बताया कि CBI के विशेष निर्देशक के बेटे अंकुश अस्थाना 2010 और 2012 के बीच सहायक प्रबंधक के रूप में ‘स्टर्लिंग बायोटेक’ में बतौर एक कर्मचारी रहा है. CBI की FIR के मुताबिक, कंपनी विभिन्न व्यक्तियों को काम निकालने के लिए बड़ी-बड़ी रकम देने लगी थी और उसने कई गैर-विदेशी संस्थाओं और भारत में बेनामी कंपनियों के लिए अवैध संचालन के तरीके और रास्ते खोल दिए थे. हलफनामें में इस बात को कहा गया है.