सीएम का रोजगार देने का दावा, हकीकत में 34 लाख से अधिक युवा प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगार: विभा पटेल

  • पटवारी परीक्षा के नाम पर वसूले गए 10 करोड़ युवाओं को वापस किए जाएं, सभी परीक्षाएं अब बगैर फीस लिए हो.
  • कर्मचारी चयन बोर्ड ने 32 भर्ती परीक्षाओं से 113 करोड़ रुपए बेरोजगारों से कमाए, अधिकांश परीक्षाएं विवाद में घिरी.
  • चौहान सरकार रोजगार दिलाने का भ्रम फैला रही है प्रदेश में बेरोजगार ओबीसी युवाओं की संख्या करीब 10 लाख.

भोपाल. मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर विभा पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी शीर्ष पर है। प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में 34 लाख से अधिक युवाओं के नाम पंजीकृत बेरोजगार की शक्ल में दर्ज हैं। वहीं, शिवराज सिंह चौहान की सरकार हर माह एक लाख युवाओं को रोजगार दिलाने का भ्रम फैला रही है। चुनाव पूर्व छलने और नया जुमला गढ़ रही है। लेकिन हकीकत कुछ और है। मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या दिन दुगुनी और रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। वहीं पटवारी परीक्षा के नाम पर 10 करोड़ रुपए बेरोजगार युवाओं से वसूले गए हैं। ये वापस होना चाहिए।

श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि रोजगार देने के नाम पर सरकारी एजेंसी की शक्ल में शामिल मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड (पूर्व नाम व्यापमं.) ने बेरोजगारों को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। इसने पिछले 18 सालों के दौरान 32 भर्ती परीक्षाओं से 113 करोड़ रुपए बेरोजगारों से कमाए हैं। इन 32 परीक्षाओं का अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। कितनों को रोजगार दिलाया, इसकी जानकारी बोर्ड स्तर पर आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। अब फिर चुनावी साल में खुद का खजाना भरने कर्मचारी चयन बोर्ड वर्तमान में पटवारी के 6755 पदों के नाम पर लूट-खसोट कर रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं से आवेदन के नाम 560 रुपए, अनारक्षित पदों के लिए310 रुपए आरक्षित एवं दिव्यांग वर्ग के आवेदकों से मांगे गए हैं। कर्मचारी चयन बोर्ड ने पटवारी परीक्षा के नाम पर एक आवेदन की तिथि बढ़ाकर लगभग दो लाख से अधिक नौजवानों से 10 करोड़ रूपए अर्जित कर लिए हैं।

श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि ये पहला अवसर नहीं है, इसके पहले प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा एवं ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी परीक्षा के नाम पर भी तीन लाख से अधिक युवाओं के साथ ऐसी ही लूट की गई थीं। ये अलग बात है कि परीक्षा की निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने पर दो सेंटरों की प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा को निरस्त करना पड़ा तो एक ही शहर के दस युवाओं का नाम मेरिट में आने पर ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी परीक्षा के परिणाम रोके गए। यानी पर्चा लीक होने का शक है। बवाल मचा तो परीक्षा परिणाम स्थगित कर दिए। आखिर इसकी नौबत ही क्यों आई। ये सब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाक के नीचे चल रहा है। इस गंभीर गड़बड़ी को रोकने में सरकारी की कोई दिलचस्पी नहीं है।

श्रीमती विभा पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि झूठ बोलने और तथाकथित दावे करने में विशेषज्ञता रखने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान के राज में असंगठित क्षेत्र में भी युवाओं को कामगारों की शक्ल में काम नहीं मिल रहा है।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि कई माता पिता ने लाखों रुपए खर्च कर अपने बेटों को इस काबिल बनाया की कि सरकारी नौकरी लगने के बाद उनका बेटा बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन यहां तो नौजवान आत्महत्या करने को मजबूर हुआ है। न तो वह अपने बुजुर्ग मां-बाप का सहारा बन पा रहा है और न ही वह अपने बच्चों का पालन पोषण कर पा रहा है। स्थिति यह है कि पिछले वर्षों में भृत्य, ड्रायवर, आरक्षक, जैसे पदों के लिए हजारों की संख्या में पढ़े-लिखे युवाओं ने आवेदन किए हैं। ये एक सच्चाई हैं। इसे मुख्यमंत्री झूठला नहीं सकते हैं।

श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे वर्ग यानी ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बेरोजगार ओबीसी युवाओं की संख्या करीब 10 लाख है। वहीं सामान्य वर्ग के युवाओं की संख्या 8.11 लाख हैं। इसी तरह अनुसूचित जाति के 4.35 लाख और अनुसूचित जनजाति के बेरोजगार युवाओं की संख्या 3.36 लाख है।

श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि 30 लाख से ज्यादा युवाओं के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उनकी चिंता बना हुआ है।बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलने से कई तरह की सामाजिक समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। वहीं, शिवराज सिंह चौहान की निर्लज सरकार महंगाई-बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। लेकिन जागरुक जनता अब शिवराज सिंह चौहान सरकार के झांसे में नहीं आएगी। इस वर्ष के अंत में होने वाले चुनाव में करारा जवाब देगी। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस चुनाव में भाजपा के कुशासन का अंत होगा और कांग्रेस की सरकार बनेगी।