PNB के बाद अब स्टेट बैंक में घोटाला : भूपेश जैन 14 बैंकों को 854 करोड़ की चपत लगाकर भागा विदेश

नई दिल्ली। देश में हो रहे बैंक घोटाले खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे। हर रोज एक नया बैंक घोटाला सामने आ जाता है। हीरा कारोबारी नीरव मोदी की तर्ज पर तमिलनाडु में भी एक गोल्ड जूलर ने एक-दो नहीं बल्कि 14 बैंकों को सैकड़ों करोड़ का चूना लगाया है। यह मामला भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का है। दरअसल देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने सीबीआई को भेजे शिकायत में इस घोटाले का जिक्र किया है। एसबीआई की शिकायत है कि कनिष्क ज्वैलर्स ने 854 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है।

एसबीआई ने कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई से जांच की मांग करते हुए कहा कि इस कंपनी ने कर्ज मामले में 842.15 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है।रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल सीबीआई ने इस पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है। सीबीआई उन 14 सरकारी और निजी बैंकों में शामिल अहम बैंक हैं जिसने इस कंपनी को 824 करोड़ रुपए का प्रिंसिपल लोन दिया। एसबीआई की ओर से लिखे पत्र के मुताबिक कनिष्क गोल्ड ने 2007 से कर्ज लेना शुरू किया, और बाद में उसने अपनी क्रेडिट की सीमा को बढ़वा लिया। गौरतलब है कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने पीएनबी में करीब 12700 करोड़ रुपए का महाघोटाला किया था। 19 मार्च को एक्सिस बैंक में 4000 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। पीएनबी घोटाले के बाद कई ऐसे घोटाले सामने आये हैं। सरकार ने अगर इन सब पर सख्त कदम नहीं उठाया तो ये सारे घोटाले घटने की बढ़ते ही जाएंगे।

एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों के कंसोर्टियम ने कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड को 824 करोड़ रुपये का लोन दिया था। भूपेश कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन इस कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर हैं। कनिष्क गोल्ड का मुख्य कार्यालय चेन्नई के टी. नगर में स्थित है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि व्यवसायी दंपती से कई बार संपर्क साधने की कोशिश की गई थी, लेकिन दोनों का कुछ अता-पता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भूपेश और नीता मॉरिशस में हैं। सारे प्रयास विफल होने के बाद एसबीआई ने 25 जनवरी को सीबीआई में इसकी शिकायत दी थी। बैंक ने भूपेश पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कर्ज लेने और रातोंरात अपने सभी शोरूम और फैक्टरी बंद कर चंपत होने का आरोप लगाया है। सीबीआई ने फिलहाल इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है। बता दें कि जांच एजेंसी प्राथमिक छानबीन के बाद ही केस दर्ज करती है।

अधिकारियों का कहना है कि कनिष्क गोल्ड को 824 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। ब्याज और अन्य शुल्क लगाकर 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अंदेशा है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, एसबीआई ने 11 नवंबर, 2017 में कंपनी के खाते को फर्जी करार दिया था। आरबीआई को भी इसकी जानकारी दे दी गई थी। बाद में अन्य बैंकों ने भी ऐसी ही घोषणा की थी। एसबीआई ने इस कंपनी को वर्ष 2007 से ही कर्ज देना शुरू किया था। बाद में एक कंसोर्टियम बना दिया गया था, ताकि अन्य बैंक भी कनिष्क गोल्ड को लोन दे सके।

दिलचस्प है कि कनिष्क गोल्ड के प्रमोटर भूपेश जैन ने बैंकों को पत्र लिखकर रिकॉर्ड की जालासाजी करने और स्टॉक हटाने की बात स्वीकार की थी। भूपेश ने स्टॉक को कोलेटरल (लोन के बदले संपत्ति) के तौर पर रखा था। मद्रास जूलर्स एंड डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने बताया कि नुकसान से उबर न पाने के कारण कनिष्क गोल्ड ने मई, 2017 में अपना शटर गिरा लिया था।