मृत कर्मचारियों को सालों से मिल रही सैलरी

निवास बीईओ कार्यालय में 52 लाख से ज्यादा का घोटाला

मंडला – मंडला जिले के विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय निवास में पिछले 10 दिनों से जॉइंट डायरेक्टर (ट्रेजरी) की टीम कार्यालय में किए गए भुगतान के बिलों को खंगाल रही है। इस जांच में यहां पिछले कई वर्षों से मृत कर्मचारियों के नाम से सैलरी, छात्रवृत्ति की राशि, कर्मचारियों को मिलने वाले हाउस रेंट और बोर्ड को भेजी जाने वाली राशि के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है।
अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार इस घोटाले में प्रमुख भूमिका बीईओ कार्यालय में पदस्थ अस्थाई कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश बर्मन की बताई जा रही है। सतीश बर्मन लंबे समय से फर्जीवाड़ा करते हुए मृत कर्मचारियों के वेतन को अपने रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर कर रहा था। इसके अलावा भी कई अन्य मदों के भुगतान में भी गड़बड़ी हुई है। इसमें दो पूर्व बीईओ की भी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। मामला तब खुला जब भोपाल में बैठी ट्रेजरी एंड एकाउंट की एक तकनीकी टीम को निवास बीईओ कार्यालय के कुछ लेन देन संदिग्ध लगे और उन्होंने करीब 15 दिनों पूर्व जबलपुर के कोष व लेखा विभाग को मामले की जांच के लिए पत्र लिखा। जिसके बाद करीब 10 दिन पूर्व मामले की जांच प्रारम्भ हुई। इस जांच में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। अभी तक करीब 52.45 लाख रुपए का गबन सामने आ चुका है। जांच पूरी होने तक यह रकम और भी बढ़ने की संभावना है।
जांच अधिकारी रोहित सिंह कौशल संयुक्त संचालक कोष व लेखा जबलपुर ने बताया कि सतीश बर्मन अगस्त 2020 में मृत एक सहायक शिक्षक के नाम पर सैलरी अपने और अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर करता रहा। इस तरह उसने अपनी पत्नी के खाते में करीब 37 लाख रुपए ट्रांसफर किए। एक अन्य रिश्तेदार के खाते में भी बड़ी रकम ट्रांसफर की है। साथ ही छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान शिक्षकों के खाते में किया गया, बोर्ड को भेजा जाने वाला संबद्धता शुल्क भी किसी अन्य खाते में ट्रांसफर किया और हाउस रेंट भी बढ़ा कर भुगतान किया गया है। जांच अधिकारी ने बताया कि अभी तक हम एक करोड़ तक पहुंच गए हैं। आगे जांच में यह राशि और भी बढ़ सकती है। ये गड़बड़िया दो बीईओ आनंद जैन और रामनारायण पटेल के कार्यकाल में हुई हैं। इनके लॉगिन पासवर्ड से ये सभी कुछ हुआ है। उन्होंने बताया कि अभी तक संदिग्ध लेन देन वाले कई खाते सीज किए गए हैं। संभावना है कि जांच पूरी होने तक यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता है।