सीएम की ‘लाडली बहना’ स्कीम की घोषणा सरकार का एक और छलावा : विभा पटेल

  • शिवराज सिंह बताए 35 लाख लाड़लियों के रजिस्ट्रेशन क्यों कैंसिल हुए.
  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कब नियमित होगी.
  • आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी एवं उषा कार्यकर्ता को स्थायी कर्मचारी कब मानेगी सरकार.

भोपाल. मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ‘लाडली बहना’ स्कीम की घोषणा की है। ये घोषणा महिलाओं के साथ एक और छलावा है, भ्रम है। मुख्यमंत्री पूर्व में कई ऐसी योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं। इसका लाभ लड़कियों को नहीं मिला।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए ये नई घोषणा की गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा है कि इस योजना के लिए कुल 37 लाख 63 हजार 735 कन्याओं ने आवेदन किया गया लेकिन वर्ष 2020-21 में 2 लाख 28 हजार 283 कन्याओं के पंजीकरण को स्वीकार किया गया। जिनके पंजीकरण अस्वीकार किए गए, वह सभी वंचित, कमजोर एवं निम्न वर्ग की थी। लेकिन खुद को संवेदनशील कहने और लाड़लियों का मामा बताने वाले मुख्यमंत्री चौहान के कार्यकाल में 35 लाख से अधिक बच्चियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया गया। ये सरकार की खोट पूर्ण नीयत और राजनीतिक झांसे को प्रदर्शित करता है।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि घोषणावीर मुख्यमंत्री अब जन भावनाओं से राजनीतिक खेल खेल रहे हैं। ये खेल उनको और उनकी पार्टी को महंगा पड़ेगा। श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश में आंगनबाड़ी सहायिका एवं कार्यकर्ताओं की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। न तो शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें नियमित नहीं किया। ऐसी स्थिति आशा कार्यकर्ताओं की भी है। दोनों के कर्तव्य, दायित्व महत्वपूर्ण है। इसके बाद भी दोनों को सरकारी स्तर पर नजर अंदाज किया जा रहा है।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि उनकी तो मांग है कि सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शासकीय कर्मचारी घोषित करते हुए सभी शासकीय सुविधाओं का लाभ प्रदान किया जाए। शिवराज सिंह चौहान सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय या मानसेवा की जगह नियमित और सीधी भर्ती की जाने की नियमानवली बनाई जाये। जब तक नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन नहीं किया जाता है तब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानेदय, अतिरिक्त मानदेय में केन्द्र से निर्धारित महंगाई भत्ते को लागू कर भुगतान किया जाये एवं कम से कम 18, 000 रुपए 19,000 रूपए कार्यकर्ता व सहायिका, को भुगतान किया जाये। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विभाग की ओर से कम से कम 5 लाख रूपए का स्वास्थ्य बीमा कराया जाए एवं सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं एवं मिनी कार्यकर्ताओं को आयुष्मान योजना की पात्रता में भी शामिल किया जाये।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी एवं उषा कार्यकर्ता भी सालों से स्थायी कर्मचारी, नियमित वेतन और सामाजिक सुरक्षा के रूप में मान्यता दिए जाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। लेकिन शिवराज सिंह चौहान की सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। ये शिवराज सिंह चौहान सरकार की कपटपूर्ण नीति को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आशाओं के प्रति राज्य सरकार रवैया निराशजनक है। प्रदेश की आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं को साल 2006 में नियुक्त किया गया था। तब से लेकर आज तक मात्र 2 हजार रुपए ही मानदेय दिया जा रहा है, जो बढ़ती महंगाई के दौर में जीवन-यापन के लिए काफी कम है। ग्रामीण-शहरी क्षेत्र में कार्यरत कार्यकर्ता राष्ट्रीय कार्यक्रम एवं राज्य के सभी कार्यक्रम सुचारू रूप से करते हैं। वहीं प्रदेश में मातृ मृत्यु, शिशु मृत्यु दर कम करने, शत प्रतिशत टीकाकरण कराने में कार्यकर्ताओं का अहम रोल रहता है। लेकिन सरकार ने अब तक उन पर ध्यान नहीं दिया है। यद्यपि कोरोना संक्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी आदि ने अपनी जान को जोखिम में डालकर घर घर जाकर सर्वे किया है। इस सबके बावजूद शिवराज सिंह चौहान सरकार के उदासीन रवैये की श्रीमती विभा पटेल ने आलोचना करते हुए कहा कि अगर इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो महिला कांग्रेस सड़कों पर आने को बाध्य होगी। श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी आदि की समस्याओं का समाधान करेगी। उनकी जायज मांगों को पूरा करेगी।