वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण बता रहे हैं कि सीबीआई के नवनियुक्त स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर 4,000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिग मामले में शामिल होने का आरोप है, जिसकी जांच ख़ुद सीबीआई कर रही है.
आज हम देख रहे हैं कि हर तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जो क़ानून बने जिससे सीबीआई को सरकार से स्वतंत्र रखा जाये, उसका हनन किया जा रहा है. और जैसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई को पिंजरे में तोते की तरह बनाकर रखा गया है, कि जो सरकार चाहे और कहे वही काम सीबीआई करे.
पहले तो मौजूदा मोदी सरकार ने साढ़े तीन साल के दरमियान लोकपाल की नियुक्ति ही नहीं की. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश के अनुसार सीबीआई के डायरेक्टर के चयन में देश के चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं. पिछली बार जब सीबीआई के डायरेक्टर निदेशक रिटायर हुए तो इन्होंने वो बैठक ही नहीं बुलाई, जिसमें सीबीआई नए डायरेक्टर का चयन हो.
और एक गुजरात के अफसर जो अपेक्षाकृत एक जूनियर अफसर, राकेश अस्थाना, जो मोदी जी और अमित शाह के ख़ास माने जाते हैं, को कार्यकारी डायरेक्टर बना दिया गया. जब इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तो उन्हें हटाया गया और एक नियमित डायरेक्टर चयन किया गया.
अब हम देख रहे हैं कि बीते 21 अक्टूबर की रात में को प्रधानमंत्री कार्यालय से सीवीसी को एक आदेश आता है जिसमें कहा गया कि हमें उसी राकेश अस्थाना को एडिशनल डायरेक्टर से सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर (विशेष निदेशक) बनाना है. और उस आदेश पर शनिवार को, छुट्टी के दिन सीवीसी के तीनों आयुक्त, सीबीआई डायरेक्टर, गृह सचिव और डीओपीटी सचिव की बैठक बुलाई जाती है.
सीबीआई डायरेक्टर उस बैठक में बताते हैं कि उन्होंने अभी स्टर्लिंग बायोटेक मामले में एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें ओवर इनवॉइसिंग के जरिये 4,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिग हुई है, जिसमें लोग कहते हैं कि अहमद पटेल के दामाद का नाम भी है. इस मामले में डायरी बरामद हुई है और उसमें कई जगह राकेश अस्थाना, जो उस समय सूरत पुलिस कमिश्नर थे, का नाम भी आया है कि उन्हें कई करोड़ रुपये दिए गए.
सीबीआई डायरेक्टर ने कहा कि इनकी नियुक्ति, इनका प्रमोशन कैसे किया जा सकता है. इनको तो कायदे से तो सीबीआई में रहना ही नहीं चाहिए. मेरी जानकारी के मुताबिक सीबीआई डायरेक्टर की इस बात पर सीवीसी कमिश्नर और सचिवों वगैरह ने सहमति जताई और कहा कि इनका प्रमोशन नहीं किया जा सकता. इसके चलते मुख्य सीवीसी आयुक्त ने इस बैठक को टालते हुए अगले हफ्ते बैठक बुलाने की बात कही.
लेकिन हम देखते हैं कि रविवार की शाम को एक कैबिनेट नियुक्ति कमेटी होती है, जिसमें प्रधानमंत्री और कई अन्य मंत्री भी होते हैं, उनकी तरफ से एक आदेश जारी किया जाता है कि राकेश अस्थाना को सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर के बतौर प्रमोट कर दिया गया है.
रविवार 22 तारीख को प्रधानमंत्री गुजरात में थे, लेकिन उसी दिन यह आदेश जारी कर दिया गया कि अस्थाना को प्रमोट कर दिया गया है. यानी फिर से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करके और बिना सीवीसी की मंजूरी के.
और सुना है कि सीबीआई के डायरेक्टर ने दो पेज का लिखित नोट दिया है कि ऐसी स्थिति में जहां सीबीआई खुद ऐसे गंभीर मामले में राकेश अस्थाना पर जांच कर रही है, उनका प्रमोशन नहीं किया जा सकता, फिर भी उनका प्रमोशन कर दिया जाता है.
तो आज हम देख रहे हैं कि मौजूदा सरकार हर तरह से क़ानून का उल्लंघन कर रही है, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रही है और सीबीआई की स्वतंत्रता और ईमानदारी को बिल्कुल ख़त्म करने पर तुली हुई है.