डिलीवरी के बाद बिगड़ रही तबीयत

30 करोड़ से बने काटजू अस्पताल से 1 माह में 25 प्रसूताओं को हमीदिया रेफर किया

भोपाल – जेपी अस्पताल में नर्सिंग ऑफिसर की भाभी अशोका गार्डन निवासी अनीता पत्नी संजय कुशवाहा की सीजेरियन डिलीवरी काटजू अस्पताल में की गई। ज्यादा ब्लीडिंग होने से मामला क्रिटिकल हो गया। इसके चलते जेपी से ही डॉ. आभा जैसानी को एक्सपर्ट ओपिनियन के लिए बुलाया गया। इसके बावजूद मामला नहीं संभला तो शाम 4.50 पर प्रसूता को निजी अस्पताल रेफर करना पड़ा।
यह कोई पहला मामला नहीं है। फरवरी से 20 मार्च तक करीब 25 से अधिक प्रसूताओं को ऑपरेशन के बाद क्रिटिकल कंडीशन पर हमीदिया अस्पताल रेफर किया जा चुका है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल की तरह यहां ब्लड बैंक यूनिट और एक्सपर्ट डॉक्टर जैसे एमडी मेडिसिन, एनेस्थिसिया और अन्य डॉक्टर नहीं हैं, जो सीजेरियन डिलीवरी बिगड़ने पर मामले को संभाल सकें। नतीजतन महिलाओं का बीपी बढ़ रहा है। बहुत ज्यादा खून आना, पेशाब रुक जाना सहित अन्य परेशानियां हो रही है। काटजू के अधीक्षक ने खुद माना है कि यहां चाक-चौबंद व्यवस्था ही नहीं है। स्त्रीरोग विशेषज्ञ ने उन्हें स्वयं इस तरह की परेशानियों के बारे में बताया है। इसके चलते उन्होंने एसीएस व स्वास्थ्य आयुक्त सहित अन्य अफसरों को पत्र लिखकर मागदर्शन मांगा है।

क्या होता है पीपीएच

डिलीवरी के बाद जनरली ब्लीडिंग होती ही है क्योंकि यूटरस, प्लैसेंटा को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ता है लेकिन कुछ मामलों में यूटरस सिकुड़ना बंद कर देता है, जिससे ब्लीडिंग होती है। जब प्लैसेंटा के छोटे टुकड़े यूटरस में जुड़े रह जाते हैं, तो बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है। 1000 एमएल से ज्यादा ब्लीडिंग पीपीएच माना जाता है।

बगैर प्लानिंग बना दिया मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ टर्शरी केयर

काटजू में मेडिकल विशेषज्ञ नहीं है। आईसीसीयू नहीं है। इंटरवेंशनिस्ट नहीं है। ब्लड बैंक नहीं है। नतीजतन मरीज हमीदिया रेफर हो रहे है। केन्द्र सरकार की आईपीएसएस गाइडलाइन के अनुसार जिला अस्पताल में प्रसव सुविधा होना जरूरी है। इस गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए काटजू अस्पताल को टर्शरी केयर बनाकर यहां जेपी अस्पताल के सभी स्त्री रोग विशेषज्ञ का ट्रांसफर कर दिया गया। जिला अस्पताल का गायनी यूनिट खत्म कर इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

जैसे ही संख्या बढ़ी, दावे धरे रह गए

जनवरी में स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला के निरीक्षण के बाद प्रदेश का एमसीएच होने के नाते दावा किया गया कि यहां प्रसूताओं को बेहतर डिलीवरी और नवजातों को बेहतर उपचार उपलब्ध होगा। लेकिन जैसे ही यहां प्रसूताओं की संख्या बढ़ी, सारे दावे धरे रह गए हैं। बीते एक सप्ताह में 12 महिलाओं को सीजेरियन के बाद हमीदिया रेफर किया गया है। डॉ. श्रद्धा अग्रवाल, डॉ. निर्मला बाथम, डॉ. ज्योति खरे द्वारा सीजेरियन किया गया है।

एक कारण यह भी

इधर, अस्पताल की महिला डॉक्टर्स अधीक्षक की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट है। वे दबाव महसूस कर रही है। इस तरह की शिकायतें भी बीते दिनों सीएम हेल्पलाइन में की गई है। इसके पीछे कारण यह भी सामने आया है कि काटजू अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर नहीं है। नतीजतन स्त्री रोग विशेषज्ञ उन्हें जैसा बता रही है वे वैसा ही ऊपर तक अपनी जानकारी पहुंचा रहे हैं।