राजस्थान के अलवर में कथित गौरक्षकों की बर्बरता और जुल्म का शिकार हुए मोहम्मद उमर के परिजन आखिरकार 6 दिनों के बाद पोस्टमार्टम के लिए तैयार हो गए हैं. पोस्टमार्टम के बाद उमर के शव को अलवर स्थित उसके गांव ले जाया जा रहा है और वहीं उसके जनाजे को दफ्न किया जाएगा. इससे पहले दर्जनों संगठनों से जुड़े लोगों, समाजी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने बड़ी तादाद में सरकार के खिलाफ मार्च निकालने की कोशिश की, जिसे पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आगे नहीं बढ़ने दिया. इससे नाराज प्रदर्शकारी बीच सड़क पर बैठ गए और सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ नारेबाजी की.
मोती डोंगरी पुलिस स्टेशन के करीब हुई सभा में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, ‘हम अमनपसंद लोग हैं और किसी भी तरह से स्थिति को बिगाड़ना नहीं चाहते.’ वक्ताओं ने कहा कि सरकार इस मामले में मुकदर्शक बनी हुई है और पुलिस अपनी मनमर्जी कर रही है. उन्होंने कहा, मेवात में आज इंसानों का जानवरों की तरह कत्ल किया जा रहा है. सरकार अपना रवैया बदले वरना इस तरह तो मेवात के साथ-साथ पूरा राज्य अल्पसंख्यकों की कत्लगाह बनकर रह जाएगा. प्रदर्शकारियों ने सवाल उठाया, पुलिस को पहले दिन से ही सारी खबर थी, फिर भी वह खामोश क्यों रही और सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए?
कानूनी जानकारों की समिति गठित की गई है उसकी जिम्मेदारी वकील पैकर फारूक और सैयद शहादत अली को दी गई है. सभा में शामिल होने वाले वकील मोहम्म साजिद ने बताया कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट की जो रूलिंग है उसके मुताबिक राज्य सरकार का ये फर्ज है कि वह इन कथित गोरक्षकों पर लगाम लगाए. उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने जो एएफआईआर दर्ज की है उस पर भी गौर किया जाएगा और अगर उस में कोई कमी होगी या पुलिस ने जान बूझकर कोई कमी छोड़ी होगी तो उस को अदालत में चुनौती दी जाएगी.
पोस्टमार्टम कराए जाने पर इत्तेफाक राय से फैसला लिए जाने के बाद उमर खान के परिजन और अन्य लोग इतंजार कर रहे हैं कि कब लाश उनके सुपुर्द की जाएगी, ताकि जनाजे और कफन दफन के जरूरी इंतजाम किये जा सकें और एक हफ्ता बाद ही सही पर उमर की लाश को सुपुर्दे खाक किया जा सके
