देश के थिएटर में राष्ट्रगान पर चल रहें राजनीतिक लड़ाई के बीच विभिन्न पार्टी के नेताओं ने कहा कि थिएटर में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजने पर खड़ा नहीं होना किसी व्यक्ति के राष्ट्रवाद को नहीं दर्शाता है.
थिएटरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजने के समय व्यक्ति के खड़े होने को अनिवार्य बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के शुरुआती फैसले के बारे में दासगुप्ता ने कहा कि किसी व्यक्ति को राष्ट्र गान या गीत की उपेक्षा ना करने का सामान्य रवैया रखना चाहिए लेकिन राष्ट्रगान बजने के समय खड़े होने के मुद्दे पर आवश्यकता से अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए.
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इोहाद-उल मुस्लिमीन अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, जदयू नेता पवन वर्मा, कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी, पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम और राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने यह राय व्यक्त की.
उन्होंने कहा, समस्या तब पैदा होती है जब आप राष्ट्रगान के लिए खड़े होने पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देते हैं. मनु सिंघवी का मानना है कि राष्ट्रगान को निश्चित तौर पर गाने के रूप में थोपा नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा, यहां एक न्यायिक आदेश के जरिए इसे लागू कराया जा रहा है और इसी बात से समस्या पैदा होती है. संसद के जरिए एक कानून बनाइए.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 30 नवंबर को देश के सभी सिनेमाघरों को आदेश दिया था कि फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाए और दर्शकों को इसके प्रति सम्मान में खड़ा होना चाहिए. लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने साफ किया था कि दिव्यांग लोगों को खड़े होने की जरूरत नही है.
राष्ट्रगान को फिल्मों से पहले नहीं बजाना चाहिए, लोग वहां मनोरंजन के लिए आते हैं. बता दें कि पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने को लेकर काफी विवाद सामने आए हैं.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल पिछले महीने 23 अक्टूबर को कहा कि देशभक्ति साबित करने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के समय खड़ा होना जरूरी नहीं हैं. न्यायालय ने इसके साथ ही केंद्र सरकार से कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए नियमों में संशोधन पर विचार किया जाए.