रूपाणी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से जुड़े एक नहीं यह तीन तीन अपशगुन

नई दिल्ली। गुजरात में विजय रूपाणी ने दूसरी बार मंगलवार को शपथ ली हैं लेकिन उनके इस शपथ ग्रहण समारोह से एक नहीं तीन तीन अपशगुन जुड़े हुए हैं। ऐसे में सवाल यह किया जा रहा है कि क्या विजय रूपाणी की सरकार गुजरात में 5 साल पूरे गुजार पाएगी।

पहला अपशगुन – गुजरात के नए सीएम विजय रूपाणी की ताजपोशी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले कार्यक्रम वाली जगह पर दो मजदूरों की मौत हो गई। हादसा गांधीनगर सचिवालय के हेलिपेड ग्राउंड पर पंडाल निर्माण के दौरान हुआ। पंडाल की छत पर काम कर रहे तीन मजदूर नीचे गिर गए। घायल तीनों मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इलाज के दौरान दो मजदूरों ने दम तोड़ दिया। शपथ विधि समारोह स्थल की बिना शुद्धि कराए शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन कर लिया गया।

दूसरा अपशगुन – विजय रूपाणी दूसरी बार गुजरात की सत्ता के सिंहासन दूसरी बार काबिज हुए हैं। विजय रूपाणी दूसरी बार जिस ग्राउंड में शपथ लेंगे, उस ग्राउंड के साथ अपशगुन जुड़ा हुआ है। गुजरात में बीजेपी की पहली बार 1995 में सरकार बनी थी तो केशुभाई पटेल ने इसी हेलिपेड ग्राउंड में शपथ लिया था, लेकिन तीन साल के बाद उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद किसी भी मुख्यमंत्री ने इस ग्राउंड में शपथ ग्रहण नहीं किया था। रूपाणी 22 साल के बाद हेलिपेड ग्राउंड में शपथ लेने की हिम्मत जुटा सके हैं।

तीसरा अपशगुन – गुजरात में बीजेपी के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण का विजय मुहर्त का समय निर्धारण है। इस मिथक को विजय रूपाणी तोड़ने जा रहे हैं। बता दें कि राज्य में चार बार मुख्यमंत्री रहे मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय से ही शपथ ग्रहण के लिए प्रयुक्त होने वाले कथित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 39 मिनट था। इसी समय पर मुख्यमंत्री शपथ लेते थे, इनमें मोदी से लेकर आनंदी बेन और पहली बार जब विजय रूपाणी मुख्यमंत्री बने थे, तो इसी विजय मुहर्त पर शपथ लिया था लेकिन विजय रूपाणी इस बार विजय मुहर्त के बजाय 11 बजकर 40 मिनट पर शपथ ली।

संदेह इसलिए भी है कि गुजरात में भाजपा के पास मात्र 99 विधायक हैं। जादूई आंकड़े से मात्र 7 ज्यादा। पिछले कुछ सालों में प्रदेश सरकारों में विधायकों की बगावत फैशन बन गया है। गुजरात में सीएम अब नरेंद्र मोदी तो हैं नहीं जो पूरी पार्टी को हर समय एकजुट रखने का करिश्मा दिखा सकें। अमित शाह के सिर पर सारे देश की जिम्मेदारी है। विजय रूपाणी की क्षमताओं का आंकलन गुजरात कर चुका है। ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं कब बगावत हो जाए। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता था कि विजय रूपाणी को 5 साल पूरे होने से पहले ही कुर्सी त्यागनी पड़े।