द वायर ने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि शौर्य डोवाल का संस्थान 2014 से पहले तक महज एक ऐसा संगठन था केरल में कट्टरवादी इस्लाम और आदिवासियों के जबरन धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों पर कुछ ग्राफिक्स बनाता रहता था. यूं तो यह संगठन 2009 से काम कर रहा था, लेकिन 2014 के बाद से इसकी गतिविधियों में तेजी आई और इसने जबरदस्त तरक्की की. यह तरक्की देखकर आश्चर्य होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आज ये संगठन देश का सबसे प्रभावशाली थिंक टैंक है, जो देशी-विदेशी उदोयगपतियों और कार्पोरेट घरानों को ऐसे मंच उपलब्ध कराता है जहां उद्योगपति केंद्रीय मंत्रियों और आला अफसरों से मिलते-जुलते हैं और सरकारी नीतियों की बारीकियों पर चर्चा करते हैं. यहां यह जानना लाजिमी है कि शौर्य डोवाल राजनीतिक रूप से बेहद प्रभावशाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के पुत्र हैं. और ये दिलचस्प ‘संयोग’ उस दावे को भी खारिज करता है जिसमे वंशवाद को खत्म करने की बातें कही गई थीं.
इंडिया फाउंडेशन जाहिर तौर पर और संघ से पार्टी में आए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव चलाते हैं. लेकिन इसके निदेशक मंडल में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु के अलावा नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा और विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर शामिल हैं.
द वायर का दावा है कि इस रिपोर्ट को तैयार करते समय इंडिया फाउंडेशन संस्थान से जुड़े सभी छह लोगों को एक पत्र भेजकर कुछ सवालों के जवाब मांगे गए थे, लेकिन मंत्रियों ने उस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया, जबकि राम माधव ने वादा किया कि इस सिलसिले में ‘कोई उचित व्यक्ति’ इन सवालों के जवाब देगा. लेकिन उस ‘उचित व्यक्ति’ का जवाब भी नहीं आया.
द वायर के मुताबिक, यूं तो इंडिया फाउंडेशन अधिकारिक तौर पर कहता है कि वे एक स्वतंत्र रिसर्च केंद्र हैं जिसका कार्यक्षेत्र भारतीय राजनीति के मुद्दों, चुनौतियों और अवसरों का अध्ययन करना है. लेकिन, एक वीडियो इंटरव्यू में शौर्य डोवाल ने खुद ही स्वीकार किया है कि इंडिया फाउंडेशन नीति निर्धारण के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर बीजेपी और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करता है.
रोचक है कि यह इंटरव्यू जेमिनी फायनेंशियल सर्विसेस की वेबसाइट पर उपल्बध है, जिससे पता चलता है कि पारदर्शिता यहां एकदम निरर्थक है.
द वायर ने रिपोर्ट में लिखा है कि जब उन्होंने शौर्य से यह सवाल पूछा कि उनकी कंपनी में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी से क्या हितों को टकराव का मामला नहीं बनता, तो शौर्य का जवाब था:
“इसका कोई सवाल ही नहीं. इंडिया फाउंडेशन न तो खुद और न ही किसे के लिए कोई भी ऐसा ट्रांजैक्शन या लेनदेन नहीं करता. इंडिया फाउंडेशन के चार्टर में लाबिंग या इस किस्म की कोई और गतिविधि करना शामिल नहीं है.”द वायर का दावा कि इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से भी सवाल पूछा था लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला.