पत्र लिखकर नौसेना प्रमुख ने की मोदी सरकार से गुजारिश, लिखा बच्चों की पढ़ाई का फंड न काटा जाये

2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने बहुत बदलाव किये है उनमे से एक बदलाव दिव्यांग हुए सैनिकों के बच्चों की शैक्षणिक सहायता राशि को लेकर है. जैसा की सभी जानते है बीजेपी की मनमानी का खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है. पर सरकार उन लोगो को भी नहीं छोड़ रही है जिन्होंने अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक लगा दी.

नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर गुजारिश की है कि देश के लिए जान गंवाने वाले जवानों के बच्चों को मिलने वाली शिक्षा प्रतिपूर्ति को कम करने का जो फैसला किया गया है उसको वापस ले लिया जाए.
एडमिरल लांबा ने सरकार के उस फैसले की समीक्षा की मांग की है, जिसमें शहीदों या कार्रवाई के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों के बच्चों की शैक्षणिक सहायता राशि अधिकतम प्रतिमाह 10,000 रुपये तय की गई है.
the Navy Chief asked the Modi Government, not to send the funds for the education of children
सरकारी सूत्रों ने बताया है कि चेयरमैन ऑफ चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) की हैसियत से एडमिरल लांबा ने रक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने यह सीमा हटाने की मांग की है. जुलाई में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद यह सीमा लगाई गई थी.

अहमदाबाद में, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों से कहा था कि सरकार हमेशा से सशस्त्र बलों का समर्थन करती रही है. उन्होंने यह भी संकेत दिए थे कि वह इस मामले की समीक्षा कर सकती हैं.

पीटीआई की खबर के मुताबिक, 1972 में लाई गई इस योजना के तहत शहीदों या कार्रवाई के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों के बच्चों की स्कूलों, कॉलेजों और अन्य व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों की ट्यूशन फीस पूरी तरह माफ रहती है. हालांकि इस साल एक जुलाई को सरकार ने एक आदेश जारी किया था. इसमें ट्यूशन फीस की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये तय की गई थी. इसे लेकर सैनिकों और पूर्व सैनिकों में काफी रोष है.