योगीराज : GST को अब तक बड़े-बड़े C.A. और आर्थिक व्याख्यादाता नहीं समझ पाए, उसे पूछ लिया BHU में MA राजनीति विज्ञान की परीक्षा में

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में इमारतों से लेकर विचारधारा तक को भगवा रंगने के प्रयासों को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. कल ही प्रदेश की फल और सब्जी मंडियो को रंगने की खबर वायरल हुई थी आज उसी कड़ी में अब राजनीति विज्ञान का एक प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होता दिखाई दे रहा है जिसमें अजीब तरह का प्रश्न पुछा गया है.

कौटिल्य के अर्थशास्त्र को GST से जोड़कर निबन्ध लिखने का सवाल राजनीति विज्ञान के छात्रों से किया जा रहा है. जबकि अभी तक भी GST को लेकर सामान्य अवधारणा यही है कि बड़े-बड़े C.A. और आर्थिक व्याख्यादाता मोदी सरकार की GST को समझाने में सफल नहीं हो रहे है. दूसरे अभी मुख्यतौर पर GST को पाठ्यक्रमों से जोड़ने की खबर भी नहीं आई है ऐसे में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए GST पर निबन्ध लिखना एक टेड़ी खीर साबित हुआ है. जबकि छात्रों का कहना है कि ‘प्राचीन और मध्यकालीन भारत में सामाजिक और राजनीतिक विचार’ के तहत ये टॉपिक्स उनके कोर्स का हिस्सा नहीं हैं.
The GST is by far the largest C.A. And the economic lecturer did not understand, he asked BHU MA in Political Science exam
उत्तर प्रदेश स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्नाकोत्तर (MA) परीक्षा में राजनीति विज्ञान के प्रश्न पत्र में पूछा गया है कि ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र में GST की प्रकृति पर निबन्ध लिखिए’ पेपर तैयार करने वाले प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने समाचार चैनल ‘आज तक’ को बताया कि ‘यह मेरा विचार था कि छात्रों को इन उदाहरणों से परिचित कराया जाए. अगर ये किताब में नहीं हैं तो क्या हुआ? क्या ये हमारा दायित्व नहीं है कि पढ़ाने के नए तरीके खोजे जाएं.’

जबकि छात्रों का कहना है कि ये उनके कोर्स का हिस्सा नहीं है. प्रोफेसर मिश्रा के मुताबिक कौटिल्य (चाणक्य) का अर्थशास्त्र पहली भारतीय किताब है जो जीएसटी के वर्तमान स्वरूप का संकेत देती है. GST का प्राथमिक कॉन्सेप्ट है कि उपभोक्ता को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलना चाहिए.

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, प्रोफेसर मिश्रा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सोशल साइंस की फैकल्टी के तहत भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और भारतीय राजनीतिक विचार पढ़ाते हैं. मिश्रा ने इस बात को स्वीकार किया कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ये निजी मत है और छात्रों को वे जो कुछ पढ़ाते हैं, उससे कोई लेना देना नहीं है.