ढहने को है भाजपा का रेत महल, शिवराज सरकार के चंद दिन ही शेष

भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज और उनके मंत्रियों का जिस तरह से जगह-जगह विरोध हो रहा है उससे न केवल भाजपा की पराजय साफ दिखने लगी है बल्की भाजपा को 40-50 सीटें जीतने के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है, ये भाजपा के अंत का आरम्भ है।

केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार जनता की नजरों से एक दिन गिरेगी ये तो तय था, पर इतनी जल्दी गिरेगी ये किसी ने सोचा नहीं था। आज जब मोदी की छवि एक झूठे जुमलेबाज की और शिवराज के छवि एक बहरूपिये ठग की हुई तब भाजपा की समझ में आया कि दरअसल जिस महल में रहकर वो खुद को अजर, अमर और अविनाशी होने का घमंड पाल रही थी वो रेत महल था, और अब जल्द ही रेत का ढेर बनने वाला है।

कांग्रेस की एकजुटता और सक्रियता जहाँ भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही है, वहीं 15 वर्षों से जनता के लिए जमीन से विधानसभा और संसद तक लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को जनता भी इस बार मौका देकर मध्यप्रदेश को अपराध मुक्त करने और सुस्त हो चुकी विकास की रफ़्तार को फिर से गति देने की इच्छुक नजर आ रही है।
देखना दिलचस्प होगा की क्या कांग्रेस भाजपा को 40 सीटों में समेटने की अपनी रणनीति में कामयाब हो पाती है, या सम्मानजनक पराजय की कवायद में जुटी भाजपा 70-80 सीट तक लाकर लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में बने रहने में कामयाब होती है।