टमाटर के भाव छू रहे आसमान, किसानों के पास नहीं है टमाटर

पेटलावद. देश विदेश में अपनी छाप छोडऩे वाला पेटलावद क्षेत्र का टमाटर इस बार अतिवृष्टि से खराब हो चुका है। इस वर्ष भारी बारिश से सोयाबीन, मक्का सहित क्षेत्र की शान लाल टमाटर अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गया है। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष टमाटर का किसानों की उम्मीद के मुताबिक उत्पादन नहीं हुआ। टमाटर का उत्पादन ज्यादा नहीं होने से मंडियों में टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं। किंतु किसानों के खेतों में टमाटर नजर नहीं आ रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खेतों से 10 प्रतिशत उत्पादन हुआ है।

टमाटर दिल्ली की मंडी में अच्छा टमाटर 800 रुपए कैरेट बिक रहा है। जबकि पिछले वर्ष यही टमाटर दिल्ली मंडी में 80 रुपए से 100 रुपए कैरेट में बिका था। जबकि पिछले वर्ष भाव काफी नीचे जा रहे थे और किसानों के खेतों में टमाटर सड़ रहे थे, यहां तक किसानों को टमाटर फेंकने पड़े थे। अतिवृष्टि के कारण इस बार टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं, लेकिन किसानों के पास टमाटर नहीं है। कई बार देखा जाता है कि जब टमाटर की भरमार रहती है तो उनके भाव नहीं होते और जब टमाटर उत्पादन कम हो तो इनके भाव आसमान छु रहे हैं। इस वर्ष किसानों ने टमाटर ज्यादा उगाया है, लेकिन ज्यादा बारिश से उत्पादन पर खासा प्रभाव पड़ा है। किसानों के खेतो में इस बार भी लगभग 1600 हेक्टेयर में टमाटर लगा है। बरसात के अंतिम समय मे अतिवृष्टि के कारण टमाटर की फ्लावरिग गिर गई है। इससे उत्पादन नहीं हो पाया है। पेटलावद क्षेत्र का टमाटर भारत के बड़े महानगर दिल्ली, अहमदाबाद, कोटा, भोपाल, उज्जैन, जयपुर, रतलाम, बड़ोदा आदि महानगरों की मंडियों में बिकने जाता है।

80 से 100 गाडिय़ां टमाटर की भरकर भेजते थे-
ग्राम रायपुरिया के टमाटर सप्लायर डॉ. नाथूलाल पाटीदार, नानालाल पाटीदार, योगेश सेप्टा, गंगाराम धुलजी, अमृतलाल, रामेश्वरजी, गंगाराम राजाराम ने बताया कि इस बार ज्यादा बारिश के कारण टमाटर की फ्लावरिग गिर गई है। इससे टमाटर का उत्पादन बहुत कम हुआ है। मुश्किल से 10 से 12 गाडिय़ा दिल्ली भेज रही हैं। जबकि गत वर्ष इन दिनों में हर रोज जिले से 80 से 100 गाडिय़ां टमाटर की भरकर दिल्ली सहित आसपास की सभी मंडियों में भेजते थे। पेटलावद सहित आसपास के क्षेत्र के गांव रामनगर, बनी, रायपुरिया, जामली, बरवेट, बावड़ी, सारंगी, करवड़, रामगढ़, कोदली आदि ग्रामो में टमाटर का खासा उत्पादन होता है, लेकिन इस बार स्थिती अलग है।
ग्रेडिंग मशीन पड़ी बंद-
किसानों के टमाटर की ग्रेंडिंग करने के लिए उघानिक विभाग कार्यालय में सन् 2009-10 में गें्रडिंग मशीन लगाई थी, जो अभी तक बंद पड़ी है। इस मशीन के द्वारा किसानों के टमाटर की ए ग्रेड, बी ग्रेड तथा सी ग्रेड तीन अलग-अलग छंटनी होती है, लेकिन उक्त मशीन वर्षो से बंद पड़ी है।

किसान आएंगे तो चालू होगी-
इस संबंध में उघानिक विभाग के प्रभारी एसडीओ सुरेश इनवाती ने बताया कि वर्तमान में मशीन बंद पड़ी है। जब किसान आना शुरू हो जाएंगे तो मशीन चालू कर दी जाएगी। हमने 500 किसानों का गु्रप बनाया था जिससे यहां टमाटर की पेकेजिंग करके ट्रांसफर किया जाए, लेकिन किसान नहीं आ रहे हैं। किसानों ने लगभग 1600 हेक्टेयर में टमाटर की फसल बोई है, जो कि अधिक बारिश के कारण नृष्ट हो गई है। वहीं रबी के टमाटर के अच्छे उत्पादन की संभावना है।