नोटबंदी के बाद अगर कुछ मिटा है तो वह है फलती-फूलती अर्थव्यवस्था का विश्वास: राहुल गांधी

राहुल गाँधी ने अपने संवाद में कहा प्रधान मंत्री ने दावा किया था कि उनके फैसले का मकसद भ्रष्टाचार का खत्म करना है, लेकिन बारह महीनों के बाद अगर कुछ मिटा है तो वह है फलती-फूलती अर्थव्यवस्था का विश्वास.

नोटबंदी से देश की जीडीपी के दो फीसदी का सफाया हो गया, अनौपचारिक मजदूर क्षेत्र को तबाह कर दिया और असंख्य छोटे और मध्यम व्यवसायों और कारोबारों को नष्ट कर दिया. नोटबंदी ने लाखों मेहनती भारतीयों के जीवन को बरबाद कर दिया. सीएमआईई यानी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुमान के मुताबिक नोटबंदी के चलते 2017 के पहले 4 महीनों में 15 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां गई या उनका काम छूट गया.
the one year completion of demonetization rahul gandhi said
इस साल, एक जल्दबाजी में लागू और बेहद अव्यवस्थित और खराब अवधारणा के साथ जीएसटी का वार हमारी अर्थव्यवस्था पर कर उसे एक और झटका दे दिया गया.
ये दो कदम ऐसे समय में उठाए गए जब दुनिया भर की नजरें भारत के आर्थिक मॉडल पर लगी हुई थीं. किसी भी देश की प्राथमिक जिम्मेदारी यह भी है कि वह अपने नागरिकों को कामकाज मुहैया कराए. दफ्तरों वाली नौकरियों यानी ब्लू कॉलर जॉब में चीन का एकछत्र वर्चस्व सभी देशों के लिए चिंता का कारण और चुनौती है.
1970 के दशक में भयंकर सामाजिक समस्या से दो चार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने पश्चिम के श्रमिक संघर्ष का फायदा उठाते हुए उसे अपनाया. शायद देंग जियाओपिंग ने सही कहा था, “इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि बिल्ली किस रंग की है, अगर वह चूहे पकड़ने में सक्षम है.” और आज, इस चीनी बिल्ली ने पूरी दुनिया के उत्पादन और विनिर्माण रूपी चूहे को पकड़ रखा है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चीन में आज हर रोज औसतन 50,000 नौकरियां पैदा होती हैं, लेकिन मोदी की अगुवाई वाली सरकार महज 500 लोगों को ही रोजगार दे पाती है. चीन से मिल रही जॉब चुनौतियों से निपटने में भारत के लघु, छोटे और मझोले कारोबार और व्यवसाय असली ताकत हैं. इनमें नई क्षमताओं की संभावना के साथ कौशल और समझबूझ है जो चीन की उत्पादन चुनौतियों का मुकाबला कर सकते हैं. हमें ऐसे लोगों को पूंजी और तकनीक के सहारे सशक्त करना होगा. लेकिन, उन्हें मदद देने के बजाय, मोदी सरकार ने उनपर नोटबंदी और एक विकलांग टैक्स का प्रहार किया है. मोदी जी ने बेरोजगारी और आर्थिक अवसरों की कमी से पैदा गुस्से को सांप्रदायिक नफरत में बदलकर भारत के जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है.