व्यापम में शिवराज की नीति “तुम मुझे रिश्वत दो, मै तुम्हे नौकरी दूंगा”

भोपाल। मध्यप्रदेश में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे शिवराज के बिगड़ते और उजड़ते गृह-नक्षत्र भी सबको दिखाई पड़ने लगे हैं।

शिवराज ने व्यापम मामले में पहले एसटीएफ और फिर सीबीआई को मैनेज करके बेशक खुद को बेदाग़ दिखाने की लाख कोशिश की हो पर ये बात मप्र का बच्चा बच्चा जानता है की बगैर मुख्यमंत्री की सहमती के इतना बड़ा प्रायोजित एवं सुनियोजित घोटाला नामुमकिन है।

यदि एक बार इस झूठ को मान भी लें की शिवराज निर्दोष हैं, तो भी कागजों में मिले साक्ष्य एवं घोटाले की कई शिकायतों के बाद भी शिवराज का मौन इस मामले में उनकी संलिप्तता साबित करने के लिए काफी है।

व्यापम घोटाले के कारण आज मध्यप्रदेश का योग्य और शिक्षित वर्ग बेरोजगारी की कतार में खड़ा हैं, वहीं पैसे के दम पर अयोग्य व अशिक्षित लोग *डॉक्टर बनकर यमराज का साथ* दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश के गलियारों में गूंजता एक नारा *“तुम मुझे रिश्वत दो, मै तुम्हे नौकरी दूंगा”* आज भी व्यापम घोटाले की व्यथा-कथा बयां कर रहा है।

देखना दिलचस्प होगा की मध्यप्रदेश का पढ़ा लिखा समझदार युवक शिवराज से व्यापम घोटाले का हिसाब चुकता कर पायेगा या फिर शाह, मोदी और शिवराज की गैंग फिर से झूठे सपने बेचकर लाखों-करोंडो युवाओं को पकौड़ा रोजगार संघ में स्थाई सदस्यता दिलाकर भाजपा फिर से प्रदेश के युवाओं के भविष्य को तलने और छलने में कामयाब हो जायेगी।