जब से पद्मावती का विरोध शुरू हुआ है तब से ऐसा लग रहा है की राजस्थान के CM पर कम और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर ज्यादा असर हो रहा है. आये दिन कोई न कोई घोषणा कर रहे है, वो फिर चाहे पद्मिनी अवार्ड की बात हो या पद्मावती की मूरत बनाने की घोषणा हो.
मध्यप्रदेश में 2019 में चुनाव है और गुजरात में बीजेपी की हालत को देखते हुए लगता है शिवराज सरकार अभी से डरी हुई है इसीलिए ऐसी घोषणाए
करके लोगो का ध्यान अपनी तरफ करना चाह रहे है. ताकि हिन्दू वोटो पर जी रही बीजेपी नाराज लोगो को अपनी तरफ कर सके.
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबित हजारों स्कूली बच्चों के एक साथ राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के सामूहिक गायन कार्यक्रम में शिवराज ने कहा कि, ‘आजकल माता-पिता की जगह मम्मी-पापा का चलन कुछ ज्यादा हो गया है. अंग्रेजी के मोह में हम भी कई बार पिता को ‘डैड’ भी कह देते हैं.’
मुख्यमंत्री ने पिता को “डैड” कहे जाने के चलन के संदर्भ में कहा कि, ‘यह अजीब-सी विकृति हमारी सोच में आ गई है. लेकिन हमारे लिये माता-पिता पूजनीय हैं. शिवराज ने पिता को ‘डैड’ कहने को अंग्रेजी के मोह से जुड़ी अजीब विकृति करार देते हुए कहा कि, ‘पश्चिम में पिता के लिए ‘डैड’ शब्द का चलन ठीक हो सकता है, लेकिन हमारे लिए माता-पिता पूजनीय हैं.’ वंदे मातरम के सामूहिक गान के कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय संगठन सांस्कृतिक एवं नैतिक प्रशिक्षण संस्थान ने किया था.
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में शिवराज ने चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी को एक बार फिर ‘राष्ट्रमाता’ के रूप में संबोधित किया और कहा कि देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले महापुरुषों का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए.
हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्वालियर में अपने कार्यालय में नाथूराम गोड़से की प्रतिमा स्थापित किए जाने के सवाल पर शिवराज ने कहा कि महात्मा गांधी के हत्यारे की मूर्ति को प्रशासन पहले ही हटा चुका है. उन्होंने कहा कि इस मामले में कार्रवाई हो चुकी है.