राशन की कालाबाजारी पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने उठाए ठोस कदम, 2100 कर्मचारी करेंगे ये काम

जबलपुर. हाल के दिनों में राशन की कालाबाजारी और राशन दुकानदारों से मिलीभगत कर अपात्रों द्वारा खाद्यान्न आवंटन के कई सिलसिलेवार मामले सामने आए थे. इस वजह से उन जरूरतमंदों को राशन से महरूम होना पड़ता था, जो कि वास्तव में इसके हकदार हैं. इन तमाम खुलासों के बाद से हरकत में आई कमलनाथ सरकार ने अब राशन कार्डों का सत्यापन शुरू करने का आदेश दिया है.

गरीबी के राशन पर अमीरों का डाका
जबलपुर में पीडीएस सिस्टम के तहत उचित मूल्य की दुकानों से लोगों को आसानी से राशन मिल सके इसके लिए लोगों को राशन कार्ड बनाकर दिए गए थे, लेकिन कई अपात्र लोगों ने जोड़ तोड़ कर गरीबों के हक में डाका डालने के लिए अपने राशन कार्ड बनवा लिए थे. ऐसे अपात्रों द्वारा राशन दुकानदारों से मिलीभगत कर खाद्यान्न आवंटन करा लिया जाता था, जिसकी वजह से कई बार जरूरतमंदों को राशन के लिए भटकना पड़ता था. इन तमाम बातों और परेशानियों के बाद हरकत में आई कमलनाथ सरकार ने जिला प्रशासन को राशन कार्डों का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं. सरकार के आदेश के बाद जबलपुर जिला प्रशासन ने राशन कार्ड की छानबीन करने के बाद अब सर्वे का काम शुरू किया है. सर्वे के इस काम के लिए जिला प्रशासन ने 2100 से अधिक कर्मचारियों की टीमों का गठन किया है और ये टीमें प्रत्येक क्षेत्र में कार्ड धारियों के दस्तावेज देखेंगी और उनकी जानकारी ऑनलाइन और ऑफलाइन जुटाएंगी. उसके बाद अपात्र परिवारों के लगभग 15 फीसदी राशन कार्ड निरस्त होने की उम्मीद है. आपको बता दें कि जिले में राशन कार्ड की सभी श्रेणियों के चार लाख से ज्यादा परिवार हैं.

घर-घर जाकर करेंगे सत्यापन

दरअसल, राज्य शासन के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने पात्रता पर्चीधारी परिवारों की पात्रता का सत्यापन किया जाएगा. इसमें न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण इलाकों को भी शामिल किया गया है. हालांकि सर्वे के पहले जबलपुर जिला प्रशासन शिकायतों के बाद जांच करते हुए करीब 15 हजार अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त कर चुका है. खास बात यह है कि अभी तक इस तरह की जांच रैंडम तौर पर होती थी, लेकिन इस अभियान में शत प्रतिशत सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. साथ ही सर्वे करने वाली टीम की भी निगरानी की जा रही है, जिसके तहत सर्वे से जुड़ी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी पड़ेगी. इसके साथ ही कई पोर्टल से डाटा से लिंक भी किया गया है, ताकि जिला प्रशासन को पता चल सकें कि कितनी टीमों ने सर्वे सही किया है और कितनी टीमों ने घरो में बैठकर सर्वे के काम को अंजाम दिया है.

कई सरकारी विभाग के कर्मचारियों की लगाई ड्यूटी
इस प्रक्रिया में अंत्योदय अन्न योजना, बीपीएल परिवार के कार्ड के अलावा वनाधिकार पट्टेधारी, समस्त भूमिहीन कोटवार, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति परिवार सहित बीड़ी श्रमिक, भूमिहीन, खेतिहर पंजीकृत मजदूर, घरेलू कामकाजी महिलाएं, फेरीवाले, केशशिल्पी जैसे करीब 25 प्रकार की श्रेणियों के परिवारों की पात्रता का सत्यापन होना है. जिला प्रशासन, नगर निगम सहित कई विभागों के कर्मचारियों को इस सर्वे का जिम्मा सौंपा गया है, जिससे ये पता लगाया जाएगा कि राशन कार्ड में दर्ज पते पर रहने वाला कार्ड धारक पात्र है या नहीं. जबकि परिवार के सदस्यों का मौके पर ही मिलान किया जाएगा, जिसमें वैध दस्तावेज सहित पात्र परिवार में एक से अधिक पात्रता पर्चीधारी और राशन दुकान से राशन लेने और न लेने की जानकारी भी जुटाई जाएगी. अब देखा ये होगा कि बिना राज्य शासन के आदेश के पहले ही 15 हजार अपात्रों के राशन कार्ड रद्द कर चुका जबलपुर जिला प्रशासन अब कितने कितना कामयाब होगा.