चुनाव आयोग की खामोशी पर सवाल उठना लाज़मी, आचार संहिता में भी गुजरात चुनाव से ठीक पहले GST में छूट

गुजरात चुनाव मे पाटीदार, दलित, मुस्लिम और व्यापारी वर्ग के गुस्से को भांपते हुए मोदी सरकार ने आनन-फानन में गुवाहाटी में जीएसटी परिषद की बैठक बुलाई और टैक्स में छूट देने की घोषणा कर दी. मोदी सरकार का टैक्स कम करने का फैसला स्वागतायोग्य तो है लेकिन गुजरात चुनाव की आचार संहिता लगी होने से इस फैसले की नियत और समय पर सवाल उठ रहे हैं.

कांग्रेस का आरोप है कि गुजरात में व्यापारियों को लुभाने के लिए बीजेपी सरकार ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए इस तरह की लोक लुभावन घोषणा की है. इस पर चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन अफसोस कि चुनाव आयोग खामोश है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर सरकार पर हमले जारी रखते हुए कहा कि उनकी पार्टी ‘गब्बर सिंह टैक्स’ थोपने नहीं देगी. वे लघु और मध्यम उद्योगों की कमर नहीं तोड़ सकते, अनौपचारिक सेक्टरों को तबाह नहीं कर सकते और लाखों नौकरियों को नष्ट नहीं कर सकते.
 Question about the silence of the Election Commission even before gujrat election
उन्होंने देश को उचित सामान्य कर देने की सलाह सरकार को दी. उन्होंने कहा कि सरकार को देश का वक्त केवल बातों में बर्बाद नहीं करना चाहिए. राहुल ने ट्वीट किया, अपनी अक्षमता को स्वीकार कीजिए, आक्रामकता त्यागिए और भारत की जनता की बात को सुनिए.
कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी ने जीएसटी परिषद की बैठक के समय पर प्रश्न उठाया और कहा कि यह बैठक गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले की गई है. गुजरात में नौ और 14 दिसंबर को दो चरणों में चुनाव होने हैं.

सिंघवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा केंद्र ने पहले सोचे बिना जीएसटी लागू कर दिया. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री और उनकी सरकार पहले गोली दागती है, फिर वे लक्ष्य साधते हैं और उसके बाद सोचते हैं. फिर चाहे वह नोटबंदी का मामला हो या जीएसटी का, और ठीक यही जीएसटी के साथ हो रहा है.