पुलिस बोली- 100 करोड़ में बिकने थे 4 विधायक- भाजपा पर अब तेलंगाना में विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप; 3 गिरफ्तार

तेलंगाना पुलिस ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के 4 विधायकों को खरीदने की कोशिश का खुलासा किया है। साइबराबाद पुलिस ने दावा किया है कि एक फार्महाउस की तलाशी के दौरान 3 लोगों को अरेस्ट किया गया। ये तीनों KCR की पार्टी TRS के विधायकों को खरीदने आए थे। इनके पास से नकदी और चेक भी बरामद किए गए हैं।

TRS ने इस पूरे मामले में BJP को दोषी ठहराया है। पार्टी के प्रवक्ता कृष्णक ने कहा कि KCR के विधायक बिकने वाले नहीं है। TRS के जिन विधायकों को खरीदने की कोशिश की गई, उनमें गुववाला बलाराजू, बीरम हर्षवर्धन, पायलट रोहित रेड्डी, रेगा कंथाराव शामिल हैं।

पुलिस का दावा, 100 करोड़ की हो सकती थी डील
साइबराबाद पुलिस कमिश्नर स्टीफन रवींद्र ने बताया कि हमें TRS के विधायकों ने ही खरीद-फरोख्त होने की जानकारी दी थी। हमने अजीज नगर के एक फार्म हाउस पर छापेमारी की तो हमें नकदी और चेक बरामद हुए। कमिश्नर ने आगे कहा कि विधायकों को खरीदने के लिए 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक की डील हो सकती थी।

TRS ने शेयर किया वीडियो
इस पूरे मामले को लेकर TRS के सोशल मीडिया संयोजक सतीश रेड्डी ने ट्विटर पर वीडियो शेयर किया है। इसमें होटल व्यवसायी नंदू दिख रहे हैं। नंदू पर ही विधायकों को खरीदने के आरोप लगे हैं। सतीश रेड्डी ने नंदू की केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी के साथ फोटो शेयर करते हुए कहा कि ये भाजपा के करीबी हैं।

सतीश रेड्डी ने आगे कहा कि BJP ने कुछ दिन पहले विधायकों को खरीदने के संकेत दिए थे और आज उनकी टीम रंगे हाथों पकड़ी गई।

ते 5 साल में देश में हॉर्स-ट्रेडिंग के आरोप
पिछले 5 साल की बात करें तो कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में विधायकों के पार्टी छोड़ने और दूसरी पार्टी जॉइन करने के चलते कई सरकारें टूटीं और नई बनीं हैं। जिन पार्टियों से विधायक गए उन्होंने सामने वाली पार्टियों पर विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया। राजनीति में नेताओं की इस खरीद-फरोख्त को हॉर्स-ट्रेडिंग कहा जाता है।

कर्नाटक : मई 2018 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। BJP ने 104 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस ने 80 और JD(S) ने 37 सीटें जीती थीं। BJP नेता बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बनाए गए, लेकिन उन्हें दो दिन में ही फ्लोर टेस्ट कराने को कहा गया, जिसमें BJP बहुमत से पीछे रह गई। 6 दिन में ही युदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद कांग्रेस और JD(S) ने एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया। 23 मई को वे मुख्यमंत्री बने। लेकिन एक साल होते दो महीने बाद कांग्रेस और JDS के 17 MLAs ने इस्तीफा दे दिया। 23 जुलाई 2019 को कुमारस्वामी की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई। 26 जुलाई को बीएस येदियुरप्पा चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।

मध्यप्रदेश: 2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस ने बसपा, ससपा और स्वतंत्र विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाई। सरकार बनते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच दरार साफ हो गई।

10 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ 22 कांग्रेस विधायक भी पार्टी छोड़ गए। अगले ही दिन सिंधिया ने BJP जॉइन कर ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने BJP पर विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को मध्यप्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। कमलनाथ सरकार बहुमत पेश नहीं कर पाई और गिर गई। इसके बाद शिवराज के नेतृत्व में BJP ने सरकार बनाई।

महाराष्ट्र: 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद BJP 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने 56 सीटें जीतीं। विपक्षी खेमे में NCP ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीट जीतीं। जब सरकार बनाने की बात आई तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस बात पर भाजपा और शिवसेना के बीच ठन गई। शिवसेना ने BJP से समर्थन वापस ले लिया। NCP, शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने की योजना बनाई।

लेकिन सभी को चौंकाते हुए 23 नवंबर को शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने BJP जॉइन कर ली। इसी दिन BJP ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप-मुख्यमंत्री बनाते हुए सरकार बनाई। तब कांग्रस और NCP ने भाजपा पर विधायक खरीदने का आरोप लगाया। लेकिन तीन ही दिन में अजीत पवार ने BJP छोड़कर दोबारा NCP जॉइन कर ली। BJP-अजीत पवार की सरकार सिर्फ 80 घंटे ही चल पाई। इसके बाद शिवसेना के नेतृत्व में NCP और कांग्रेस ने मिलकर महाविकार अघाड़ी की सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने।

महाराष्ट्र सियासी ड्रामा 2022: अब इस साल 20 जून को शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने कई विधायकों के साथ पार्टी से बगावत कर दी। महा-विकास अघाड़ी की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई। 30 जून को BJP के समर्थन के उन्होंने सरकार बनाई। वे मुख्यमंत्री बने, जबकि भाजपा नेता और पूर्व महाराष्ट्र CM देवेंद्र फडणवीस उप-मुख्यमंत्री बने।