जबलपुर में मरीजों को बैक्टीरियल फंगस वाला स्लाइन कमीशन के चक्कर में चढ़ाया गया: विभा पटेल

-स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधारी नहीं गई तो महिला कांग्रेस सड़कों पर आने को विवश होगी

भोपाल. मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि प्रदेश की असंवेदनशील शिवराज सिंह चौहान सरकार की लापरवाही और उदासीनता के कारण मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज लेने वाले मरीजों की जान खतरे में है। इसका ताजा मामला जबलपुर का है। यहां के विक्टोरिया अस्पताल में मरीजों को बैक्टीरियल फंगस वाला स्लाइन चढ़ा दिया गया। इसका खुलासा भी कोलकाता की एक लैब ने किया है।

श्रीमती विभा पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि ये सब आईबी फ्लूड सप्लाई करने वाली कंपनी से कमीशन लेने के चक्कर में हुआ। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक ड्रग इंस्पेक्टर ने भी माना है कि बोतल में बैक्टीरियल एंडोटाक्विन मिला है। ये संक्रमित था। इसके सेंपल की खरीदी के समय जांच भी नहीं की गई। ये एक बड़ा घोटाला है। अब मामले में जवाबदेह स्वास्थ्य विभाग लीपापोती कर रहा है। जानलेवा लापरवाही की जिम्मेदारी खुद स्वास्थ्य महकमा नहीं ले रहा।
श्रीमती विभा पटेल ने विभिन्न हेल्थ रिपोर्ट के हवाले से कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कमी से 9 साल में सरकारी अस्पतालों में 72 हजार नवजातों की मौत हुई है। श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि ये भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मप्र में अभी 16,996 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कम से कम 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए।

श्रीमती विभा पटेल ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार पिछले 18 वर्षों से हैं। इसके बावजूद ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में मध्यप्रदेश देश में सबसे खराब स्थान पर है। यहां स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 95 पद खाली हैं। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन, महिला एवं बाल रोग समेत अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। इसका खुलासा भी रूरल हेल्थ स्टैटिक्स की 2021-22 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसके बावजूद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इस रिपोर्ट पर जरुरी कार्यवाही करने के बदले ठंडे बस्ते में डाल दिया।

श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के कारण प्रदेश के कई गांव-देहातों की स्थिति तो यह है कि केवल कंपाउंडर और नर्स के भरोसे ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सिविल अस्पतालों में भी डॉक्टरों की भारी कमी है। इस वजह से आसपास के क्षेत्रों और कस्बों के लोगों को प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है। प्राइवेट अस्पतालों में महंगे इलाज के कारण मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। कई बार ऐसे मामले भी सामने आए, जब डॉक्टरों की कमी के चलते या समय पर इलाज नहीं मिल पाने से लोगों की जान तक चली गई। इस तथ्य को राज्य सरकार झूठला नहीं सकती।

श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि गांव-देहात, तहसील-ब्लॉक और जिला स्तर पर राज्य सरकार ने डॉक्टरों के रहवास के लिए न तो जरुरी प्रबंध किए और न ही महंगाई के अनुपात में वेतन में जरुरी सुधार किया। मंत्रालय में बैठे उच्चाधिकारियों का डॉक्टर्स के प्रति नजरिया भी संवेदनशील नहीं है। ये उन्हें दोयम दर्जे का समझते हैं। संशोधित वेतनमान देने, प्रमोशन पॉलिसी में सुधार करने को तैयार नहीं हैं। न ही पेंशन योजना का लाभ देने के इच्छुक है। अभी प्रदेश में 5000 डॉक्टरों की जरूरत है।

13 मेडिकल कॉलेजों में 1000 तो सरकारी अस्पतालों में 4000 डॉक्टरों के पद खाली हैं। 16 हजार नर्सिंग स्टाफ की कमी है।इन पदों की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने जरूरी प्रयास नहीं किए। अधिकांश अस्पतालों में संस्थागत ढांचा कमजोर होने, आवश्यक व्यवस्थाएं, जरुरी साधन आदि नहीं होने से डॉक्टरों में सरकारी नौकरी को लेकर क्रेज भी नहीं है। श्रीमती विभा पटेल ने बताया कि वर्तमान में 52 जिला चिकित्सालय, 119 सिविल अस्पताल, 356 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1266 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 10 हजार 287 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं। लेकिन सभी जगह इलाज के लिए जरुरी संसाधन, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ, आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं है। पर्याप्त बजट होने के बाद भी मरीजों को उचित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि ये अत्यंत संवेदनशील मामला है। लाखों लोगों के जीवन से जुड़े इस मुद्दे पर महिला कांग्रेस चुप नहीं रहेगी।