हमारा पहला लक्ष्य कोई पार्टी नहीं कोई उम्मीदवार नहीं बल्कि अपनी संस्कृति और अपने संविधान को सुरक्षित रखना है : कमलनाथ

भोपाल/ ग्वालियर. संत रविदास जी के गुरु कबीर दास जी थे, संत रविदास की जयंती पर हमें उनका संदेश याद रखना चाहिए। सबसे आवश्यक बात यह है कि कोई व्यक्ति छोटा या बड़ा जन्म से नहीं होता अपने कर्म से होता है। संत रविदास जी ने सामाजिक न्याय का संदेश दिया था समाज को एक रखने का संदेश उन्होंने दिया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज ग्वालियर में संत रविदास की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करते हुए यह बात कही।

श्री कमलनाथ ने कहा कि आज हम उन्हें इसी कारण याद रखते हैं और आज के दिन में आपसे कहना चाहता हूं कि किस बात की आज सबसे ज्यादा आवश्यकता है। ऐसा कोई देश विश्व में नहीं जहां इतने धर्म हैं, ऐसा कोई देश विश्व में नहीं जहां इतनी जातियां हैं, भाषाएं हैं, त्यौहार हैं, जहां इतनी देवी देवता हैं। संत रविदास जैसे जो महान संत इस देश में जन्मे, उन्होंने हमारे देश की संस्कृति की नींव बनाई, उन्होंने नीव बनाई थी समाज को एक रखने की, हर धर्म को एक रखने की, जो हमारे देश की संस्कृति है और यही हमारी कांग्रेस की संस्कृति। दिलों को जोड़ना, संबंध जोड़ना, रिश्तो को जोड़े रखना, यही हमारे देश की संस्कृति है, जो हमारे महान संतों ने केवल उसे अपनाया ही नहीं जगह-जगह पहुंचाया भी है, लोगों तक पहुंचाया, और इसी संस्कृति का हमारे महान नेताओं ने भी पालन किया, उसे आगे बढ़ाया। क्योंकि अपने देश की विभिन्नता और अनेकता में एकता ही हमारे देश की असली ताकत है।

श्री नाथ ने कहा आज हम पूज्य रविदास जी की जयंती पर यह संकल्प लें कि हम इस संस्कृति के रक्षक बने। बाबासाहेब आंबेडकर ने देश को ऐसा संविधान दिया जो पूरे विश्व में मशहूर है , कई देशों ने हमारे संविधान का अनुसरण भी किया है। परंतु यही संविधान यदि गलत हाथों में चला जाए तो देश का भविष्य क्या होगा?

आज हमें यह सोचना होगा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसा प्रदेश और कैसा देश सौंपना चाहते हैं?
श्री नाथ ने कहा हमारे बुजुर्गों ने अपना जीवन जिस संस्कृति में रहकर काटा है, वही संस्कृति आज खतरे में है। भाषा के आधार पर, धर्म के आधार पर देश को बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा लोकतंत्र में चुनाव आते रहते हैं, परंतु 7 महीने बाद जो चुनाव है, उसमें एक प्रत्याशी या एक पार्टी का प्रश्न नहीं है, हमारे देश के भविष्य का प्रश्न है। आज संत रविदास जयंती के दिन हम इसी संस्कृति की रक्षा करने का संकल्प लें।

श्री नाथ ने कहा हम संकल्प लें कि आज हमारा पहला लक्ष्य कोई पार्टी नहीं कोई उम्मीदवार नहीं बल्कि अपनी संस्कृति और अपने संविधान को सुरक्षित रखना है। उन्होंने कहा देश और प्रदेश की तस्वीर अपने सामने रखिएगा, किस प्रकार धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है, जातियों के नाम पर हम सबको आपस में बांटा जा रहा है, परंतु हम यदि एक रहेंगे तो एकता की आवाज बहुत ऊंची होती है। उन्होंने कहा मैं आज इस मंच से आप सब से प्रार्थना करना चाहूंगा कि हमारा दायित्व है कि हम आने वाली पीढ़ियों को ऐसा देश और प्रदेश सौंपे, जैसा कि संत रविदास जी का सपना था। हमारे महान संतों का सपना था, हमारे महान नेताओं का सपना था।