गुजरात चुनाव: ‘राष्ट्रवादी ताकतों से बचाने’ की अपील वाले पत्र पर प्रधान पादरी आर्चबिशप को चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस

गुजरात में चुनाव को लेकर जो होड़ मची है उससे सभी वाकिब है. हर दिन कुछ न कुछ नया होता रहता है जिससे चुनावी भूकंप आ जाता है. अब एक और मामला सामने आया है, ये मामला है गांधीनगर के प्रधान पादरी का, जिन्होंने राष्ट्रवादी ताकतों से देश को बचाने को लेकर एक अपील की और पत्र लिखा. जो उन्हें काफी महंगा पड़ा.

चुनाव आयोग ने गांधीनगर के प्रधान पादरी (आर्चबिशप) को नोटिस जारी किया है. आर्चबिशप ने ईसाई समुदाय को पत्र लिखकर उनसे अपील की थी कि वे गुजरात विधानसभा चुनाव में देश को ‘‘राष्ट्रवादी ताकतों’’ से बचाएं. ईसाइयों को संबोधित पत्र जारी करते हुए आर्चडायोसीज ऑफ गांधीनगर के प्रधान पादरी (आर्चबिशप) थॉमस मैक्वान ने पिछले हफ्ते समुदाय के सदस्यों से अपील की थी कि वे देश को ‘‘राष्ट्रवादी ताकतों’’ से बचाएं, क्योंकि अल्पसंख्यकों में बढ़ती ‘‘असुरक्षा की भावना’’ के बीच इसका ‘‘लोकतांत्रिक तानाबाना’’ दांव पर है.
Notice sent by the Election Commission to the Chief Pastor Archbishop on the letter appealing to "save nationalist forces
गुजरात के राजनीतिक हलकों में इस अपील को सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के खिलाफ वोट का परोक्ष अपील माना जा रहा है. गांधीनगर के जिलाधिकारी और जिला चुनाव अधिकारी सतीश पटेल ने भाषा को बताया कि चुनाव आयोग ने मीडिया की खबरों का संज्ञान लेने के बाद नोटिस जारी किया है और पादरी से कहा है कि वे ऐसा पत्र जारी करने के पीछे की अपनी मंशा साफ करें.

पटेल ने रविवार (26 नवंबर) को कहा कि ‘‘हमने प्रधान पादरी को एक नोटिस जारी किया है और मीडिया में काफी प्रचारित हुए पत्र के पीछे की उनकी मंशा साफ करने को कहा है. हमने उन्हें जवाब देने के लिए कुछ वक्त दिया है. हम अपने जवाब के आधार पर भविष्य के कदम पर फैसला करेंगे.’’
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पत्र का मकसद ऐसे समय में अल्पसंख्यक समुदाय को ‘‘भ्रमित’’ और गुमराह करना था जब राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है. पटेल ने कहा कि, ‘‘हम समझते हैं कि पत्र ऐसे समय में वोटरों को गुमराह करने और अल्पसंख्यक समुदाय को भ्रमित करने के लिए था जब आदर्श आचार संहिता लागू है. ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.’’