राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जारी किया योगी सरकार के खिलाफ नोटिस, 6 हफ़्ते में मांगा जबाव

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी में पिछले महीने के दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ों में अपराधियों के मारे जाने को कथित रूप से अपनी उपलब्धि बताये जाने पर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को नोटिस जारी करके छह सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, आयोग ने प्रदेश में पिछले महीने के दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ों के सम्बन्ध में मीडिया रिपोर्टों का संग्यान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर छह हफ्ते के अंदर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
आयोग ने गत 19 नवम्बर को एक अखबार में छपे मुख्यमंत्री के उस बयान को उद्धृत किया है जिसमें कहा गया है अपराधी या तो जेल में होंगे या फिर यमराज के पास.
 National Human Rights Commission issued notice against Yogi Sarkar
आयोग ने माना कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बहुत गम्भीर होने पर भी कोई राज्य सरकार मुठभेड़ में हत्या जैसे उपायों को बढ़ावा नहीं दे सकती. इससे न्यायिक प्रक्रिया से इतर कथित अपराधियों की हत्या का सिलसिला शुरू हो सकता है.

आयोग ने कहा कि मुख्यमंत्री का वह कथित बयान पुलिस तथा राज्य शासित बलों को अपराधियों के साथ अपनी मनमर्जी की खुली छूट देने जैसा है. इसका नतीजा लोकसेवकों द्वारा अपनी शक्ति के दुरुपयोग के रूप में भी सामने आ सकता है. एक सभ्य समाज के लिये डर का ऐसा माहौल विकसित करना ठीक नहीं है. इससे जीने के अधिकार और समानता के हक का उल्लंघन भी हो सकता है.

आयोग के बयान के अनुसार आधिकारिक आंकड़े यह बताते हैं कि पिछली मार्च में राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से पांच अक्तूबर 2017 के बीच पुलिस के साथ मुठभेड़ की 433 घटनाओं में कुल 19 कथित अपराधी मारे गये, जबकि 89 घायल हुए.
ख़बरों के मुताबिक, इन मुठभेड़ों में एक सरकारी कर्मी की मृत्यु हुई जबकि 98 जख्मी हुए. राज्य सरकार इन मुठभेड़ों को कथित रूप से अपनी उपलब्धि और कानून-व्यवस्था में सुधार के सुबूत के तौर पर पेश कर रही है.