मोदी जी ने उद्योगपतियों का सवा लाख करोड़ माफ कर दिया पर किसानो का कर्ज माफ नहीं किया : राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार और गुजरात की बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के पहले दिन उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पिछले 22 वर्षों में सिर्फ अमीर लोगों की बात ही सुनी है और आम लोगों की आवाज को अनसुना किया है. उन्होंने कहा कि हम इसे बदल कर दिखाएंगे.

गुजरात के पोरबंदर में नवसृजन मच्छीमार अधिकार सभा में मछुआरा समुदाय को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि “क्या आप लोग नदी और दूसरे जल स्त्रोतों को प्रदूषित करते हो, नहीं, ये सारे बड़े उद्योगपति प्रदूषण फैलाते हैं. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे बड़े उद्योगपतियों की मदद करते हैं.” उन्होंने कहा कि मछुआरों ने कहा था कि जो काम किसान करता है वही काम मछुआरा करता है, मछुआरों के लिये अलग मंत्रालय होना चाहिए और हमारी सरकार बनेगी तो हम ये काम करके दिखायेंगे.

राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात के 90 फीसदी कॉलेजों का निजीकरण हो गया है, जिसके चलते फीस बेहद बढ़ गई है. राहुल ने कहा कि आपकी आवाज सरकार तक नहीं पहुंचती. उन्होंने कहा कि जब “जब कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतेगी तो हमारे दरवाजे आपके लिये खुले होंगे चाहे वो विधानसभा हो या मुख्यमंत्री कार्यालय हो, गुजरात की जनता जो कहेगी उसके बल पर सरकार चलायेंगे.”

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने एक बार फिर नोटबंदी के मोदी सरकार के फैसले की आलोचना की. उन्होंने कहा कि, “नोटबंदी के समय जब आप लाईन में लगते थे तब क्या किसी सूट-बूट वाले को देखा था? मैं बताता हूं क्यों नहीं देखा, क्योंकि वो पहले से ही बैंक के अंदर पीछे से घुस के एसी में बैठे थे.” राहुल ने केंद्र की आर्थिक नीतियों पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि, “पूरे देश में किसान कर्जा माफ करने की बात कर रहा है, पिछले साल हिन्दुस्तान के सबसे बड़े 10 उद्योगपतियों का नरेन्द्र मोदी जी ने खुद 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपया माफ किया.

एक तरफ एक व्यक्ति को 33000 करोड़ रुपये दूसरी तरफ करोड़ो लोगों को मिलने वाला 300 करोड़ रुपये भी छीन लिया. आपको 300 करोड़ की सब्सिडी नहीं देते लेकिन टाटा नैनो बनाने के लिये 33000 करोड़ रुपये दे देते हैं, अगर बड़ा उद्योगपति मोदी जी से पैसा मांगे तो 33000 करोड़ रुपये दे देते हैं. जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तब हम आपको डीजल पर सब्सिडी देते थे, 5 लाख लोगों को ये सब्सिडी दी जाती थी और इस पर सरकार का 300 करोड़ रुपये लगता था