ग्लोबल मार्केट से मिले-जुले संकेत, एशियाई बाजारों पर बना दबाव

नई दिल्ली। दिवाली के बाद घरेलू शेयर बाजार सीमित दायरे में संभलकर कारोबार करता नजर आ रहा है और ग्लोबल मार्केट से भी मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। यूएस फीचर्स पर दबाव की स्थिति नजर आ रही है लेकिन पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी दर्ज की गई। एशियाई शेयर बाजार में भी आज मिला-जुला कारोबार होता दिख रहा है।पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी का रुख बना रहा। एसएंडपी 500 इंडेक्स में 1.19 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। इस तेजी के साथ ये इंडेक्स 3,797 अंक के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह डाओ जोन्स पिछले कारोबारी सत्र में 417 अंक बढ़कर बंद हुआ, जबकि नैस्डेक में 92 अंक की तेजी दर्ज की गई।

अमेरिकी शेयर बाजार के 11 सेक्टर्स में से 9 सेक्टरों में पिछले कारोबारी सत्र के दौरान तेजी दर्ज की गई। शेयर बाजार में एक्टिव शेयरों में से 56 प्रतिशत शेयर मजबूती के साथ कारोबार कर के बंद हुए। हालांकि अमेरिकी बाजार में लिस्टेड चीन की कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त गिरावट का रुख बना रहा। माना जा रहा है कि शी जिनपिंग के एक बार फिर चीन का राष्ट्रपति चुने जाने के कारण चीनी कंपनियों के शेयरों पर दबाव की स्थिति बनी है।

आज एशियाई शेयर बाजारों में भी मिलाजुला रूख नजर आ रहा है। एसजीएक्स निफ्टी 66 अंक की गिरावट के साथ कारोबार करता दिख रहा है। इसी तरह ताइवान के बाजार में भी 1.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। फिलहाल ताइवान का बाजार 12,677.31 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। हेंगसेंग इंडेक्स में भी अभी तक 1 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और फिलहाल ये सूचकांक 15,028.55 अंक के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में भी 0.54 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। इस गिरावट के साथ ये इंडेक्स 2,961.59 अंक के स्तर पर कारोबार करता दिख रहा है।कोस्पी इंडेक्स कारोबार की शुरुआत से ही सपाट स्तर पर ट्रेड करता नजर आ रहा है। वहीं निक्केई इंडेक्स 0.84 प्रतिशत की बढ़त के साथ 27,201.37 अंक के स्तर पर बना हुआ है। निक्केई के अलावा प्रमुख एशियाई शेयर बाजारों में से स्ट्रेट टाइम्स इंडेक्स भी फिलहाल 0.47 प्रतिशत की तेजी दिखा रहा है।जानकारों का मानना है कि इस सप्ताह वीजा, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और अल्फाबेट बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नतीजे आने वाले हैं। इन कंपनियों के नतीजों का अमेरिकी शेयर बाजार के साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजारों पर काफी असर पड़ेगा। इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों के निर्धारण को लेकर लिए जाने वाले फैसले पर भी वैश्विक बाजार की चाल काफी हद तक निर्भर करेगी, क्योंकि अमेरिकी बाजार में होने वाले किसी भी बड़े उलटफेर का असर आमतौर पर दुनिया भर के बाजारों पर पड़ता है।