कमलनाथ जी के दांव में फंस रही है बीजेपी, भोपाल से लेकर दिल्ली तक है कमलनाथ जी का असर..

मध्यप्रदेश जब कमलनाथ की सरकार बनी तो निर्दलीय, सपा और बसपा का समर्थन हासिल था। ऐसे में सरकार पर खतरा हमेशा बना रहता था। ऊपर बीजेपी की लगातार धमकी कि सरकार कभी भी धराशायी हो जाएगी। लेकिन अपनी सियासी दांव से बीजेपी को ऐसा उलझाया कि भोपाल से लेकर दिल्ली तक के दिग्गज बेदम हो गए हैं। अब कमलनाथ के साथ खुद की बहुमत भी है। इस एक महीने में ही उन्होंने बीजेपी को जोरदार झटके दिए हैं।

दरअसल, मध्यप्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, तभी से बीजेपी के दिग्गज नेता यह दंभ भरते रहे कि जब चाहें तब सरकार गिरा दें। कई बार फ्लोर टेस्ट की भी मांग की लेकिन कमलनाथ हर बार बाजी मार गए। लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के नेता मध्यप्रदेश में इतने उत्साही हो गए थे कि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने फ्लोर टेस्ट की मांग की। इसके लिए गवर्नर को चिट्ठी भी लिखी। सीएम ने उस वक्त कहा था कि हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश हो रही है।

चारों खाने कर दिया चित
इसी साल जुलाई महीने में बजट सत्र के आखिरी दिन नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में कहा कि हमारे नंबर एक और दो अगर आदेश दें तो हम सरकार गिरा देंगे। सीएम ने इसे चैलेंज के रूप में लिया और शाम को बीजेपी को चारों खाने चित कर दिया। भार्गव बयान के बाद एक बिल को पास करवाने के लिए सीएम कमलनाथ ने सदन में वोटिंग करवाई। वोटिंग के दौरान बीजेपी के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। साथ ही विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने खुलम-खुल्ला ऐलान कर दिया कि हम कमलनाथ के साथ हैं। इसके बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक खलबली मच गई। बीजेपी यहां बुरी तरह से पीट गई।

झाबुआ में भी दिया जवाब
झाबुआ सीट पहले बीजेपी के पास था। जीएस डामोर के सांसद बनने के बाद यहां उपचुनाव हो रहा था। कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को उम्मीदवार बनाया था। बीजेपी के बयानवीरों ने फिर झाबुआ में वाकयुद्ध करना शुरू कर दिया। दावा करने लगे कि झाबुआ जीते तो मध्यप्रदेश में फिर से शिवराज सरकार। लेकिन कमलनाथ इन आरोपों पर जवाब दिए बिना प्रचार करते रहे। परिणाम आया तो बीजेपी की करारी हुई और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की एक सीट बढ़ गई।

पूर्ण बहुमत की हो गई सरकार
वहीं, झाबुआ के बाद बीजेपी को मध्यप्रदेश में एक और जबरदस्त झटका लगा है। भोपाल स्थित स्पेशल कोर्ट से मारपीट के मामले में पवई से विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी को दो साल की सजा हुई। दो दिन बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कोर्ट के फैसले के आधार पर उनकी सदस्यता खत्म कर दी। बीजेपी के इस विधायक की सदस्यता खत्म होते ही कमलनाथ की सरकार पूर्ण बहुमत में आ गई। प्रह्लाद ने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

आरोपों पर रहें शांत
बीजेपी ने भी मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ को घेरने की कोशिश की है। लोकसभा चुनाव के दौरान उनके सहयोगियों के घर आईटी के छापे पड़े। बीजेपी पूरे लोकसभा चुनाव में इसे भुनाने की कोशिश की। लेकिन सीएम ने कभी भी इन मुद्दों पर खुलकर जवाब नहीं दिया। साथ ही भांजे रतुल पुरी के नाम पर भी हमलावर रही बीजेपी। लेकिन कमलनाथ कभी भी भांजे को खुलकर डिफेंड करने नहीं आए। क्योंकि उन्हें रॉबर्ट वॉड्रा मामले में हश्र पता है। बचाव करने के चक्कर में कांग्रेस उसमें फंसती चली गई थी। ऐसे ही सिख दंगों को लेकर एसआईटी जांच पर भी उन्होंने कभी कोई जवाब नहीं दिया।

नहीं चल रही है बीजेपी की
हाल की कुछ सियासी घटनाओं को देखें तो यहीं लगता है कि कमलनाथ के दांव में हमेशा बीजेपी फंस जा रही है। बीजेपी की हर सियासी चाल को कमलनाथ मात दे दे रहे हैं। हाल में जो दांव उन्होंने चले हैं, उससे भोपाल से लेकर दिल्ली तक में बैठे बीजेपी के दिग्गज बेदम हैं। हालांकि मध्यप्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष सीएम कमलनाथ को यह चेतावनी दे रहे हैं कि आप आग से खेल रहे हैं। लेकिन कमलनाथ बीजेपी को मध्यप्रदेश में पानी पिलाए हुए हैं।