झाबुआ उपचुनाव: नहीं मिला कोई मुद्दा तो भाजपा नेताओं ने फिर खेला पाकिस्तान वाला कार्ड

झाबुआ उपचुनाव में नामांकन के आखिरी दिन बीजेपी कांग्रेस दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने पर्चा भरा। कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के नामांकन दाखिल के दौरान सीएम कमलनाथ और कैबिनेट मंत्री मौजूद रहे तो वहीं बीजेपी से प्रत्याशी भानू भूरिया के साथ पूर्व सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह समेत बीजेपी नेता मौजूद रहे।

नामांकन के दौरान दोनों दलों ने शक्ति प्रदर्शन भी किया। नामांकन से पहले कांग्रेस ने एक चुनावी सभा भी ली। इस दौरान सीएम कमलनाथ ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। सीएम ने कहा कि तत्कालीन शिवराज सरकार ने बेरोजगारी में नंबर वन प्रदेश सौंपा। कांग्रेस ने किसानों का कर्जमाफ किया, सरकार किसानों के साथ है।

इसके अलावा सीएम ने आदिवासियों के लिए शुरू की गई योजनाओं का भी जिक्र किया और कांतिलाल भूरिया को जीताने की अपील की। सीएम ने मौजूद लोगों से कहा कि वो कांग्रेस पर भरोसा करे उन्हें निराशा हाथ नहीं लगेगी। सीएम कमलनाथ ने बंसल न्यूज से बात करते हुए झाबुआ सीट जीतने का दावा किया। कहा कि जिस तरह छिंदवाड़ा का विकास किया उसी तरह झाबुआ का विकास किया जाएगा।

दूसरी तरफ बीजेपी नेताओं ने भी कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। बीजेपी प्रत्याशी भानू भूरिया ने हमला बोला तो वहीं राकेश सिंह ने भी कांग्रेस को घेरने की कोशिश की। राकेश सिंह ने झाबुआ सीट पर बीजेपी के जीत का दावा भी किया।

भारत-पाक युद्ध

इसके अलावा बीजेपी के शक्ति प्रदर्शन में शामिल हुए नेताप्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने झाबुआ उपचुनाव की तुलना भारत पाक युद्ध से की। साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी पर हमला बोलते हुए भूरिया को पाकिस्तान समर्थक बताया।

कांग्रेस ने झोंकी ताकत

देखा जाए तो झाबुआ सीट पर बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस की बजाय राज्य सरकार से हैं। कांग्रेस नौ महीने के कामकाज के आधार पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। सरकार के साथ संगठन भी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में जुटा हुआ है तो वहीं कमजोर कड़ियों को तलाश कर उसे ठीक करने की जिम्मेदारी भी ली है। कांग्रेस ने 12 विधायकों और 10 मंत्रियों को झाबुआ उपचुनाव के लिए तैनात किया है।

युवा चेहरे पर बीजेपी का दांव

दूसरी तरफ बीजेपी ने युवा चेहरे पर दांव लगाया है। भानु भूरिया भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। चुनावी मैदान के लिए बीजेपी ने भी अपनी ताकत झोंक दी है। बीजेपी मोदी सरकार की उपलब्धियों को भी भुनाने की कोशिश करेगी तो वहीं मौजूदा सरकार के कामकाज के खिलाफ प्रचार करेगी।

झाबुआ विधानसभा सीट का इतिहास

झाबुआ विधानसभा सीट पर अब तक 14 चुनाव हुए हैं। जिसमें कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की है तो 3 बार बीजेपी और एक बार सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव जीता है। कांग्रेस ने 1962 को छोड़कर 1957 से लेकर 1998 तक झाबुआ सीट पर कब्जा जमाए रखा है। जबकि 1962 में सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव जीता था। वहीं 2003 में बीजेपी के पेवसिंह परागी ने पहली बार चुनाव जीता। परागी ने कांग्रेस की स्वरूपबाई भाभर को करीब 18 हजार वोटों से हराया था।

लेकिन 2008 के चुनाव में सीट फिर कांग्रेस के खाते में आई और इस बार कांग्रेस के जेवियर मेडा ने बीजेपी के पेवसिंह परागी को करीब 18 हजार वोटों से मात दी। 2013 में एकबार फिर बीजेपी ने कांग्रेस से सीट छीनीं। बीजेपी के शांतिलाल बिलवाल ने जेवियर मेडा को करीब 15 हजार वोटों से हरा दिया।

2018 का चुनाव एकबार फिर बीजेपी ने जीता। जीएस डामोर ने कांग्रेस के विक्रांत भूरिया को करीब 10 हजार वोटो से मात दी। कांग्रेस से बगावत कर जेवियर मेडा ने लड़ा निर्दलीय चुनाव लड़ा और निर्दलीय के तौर पर 35943 वोट हासिल किए।