झाबुआ उपचुनाव : अब सिर्फ 2 पार्टियों में होगी जंग, कांग्रेस के समर्थन में आया आदिवासी संगठन जयस

भोपाल. विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार और लोकसभा के संग्राम में बुरी तरह पिछड़ने वाली कांग्रेस का नया संग्राम झाबुआ विधानसभा सीट पर दिखेगा. चुनाव आयोग के उपचुनाव की तारीखों के एलान के बाद झाबुआ से लेकर भोपाल तक में सियासी पारा चढ़ गया है. इस बीच कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति यानी जयस की तरफ से आई है. कांग्रेस विधायक और जयस प्रमुख हीरालाल अलावा ने साफ कर दिया है कि झाबुआ सीट पर जयस अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी.

जयस ने कांग्रेस के खाते में एक सीट बढ़ाने के लिए सत्तारुढ़ पार्टी को समर्थन देने का एलान किया है. यानी अब इस सीट पर बीजेपी औऱ कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होना तय है. आपको बता दें कि झाबुआ में अगले महीने 21 अक्टूबर को विधानसभा का उपचुनाव होना है.

कमलनाथ से भेंट के बाद फैसला
झाबुआ विधानसभा सीट के उपचुनाव में जयस की तरफ से समर्थन मिलने के बाद कांग्रेस को इस सीट पर जीतने की उम्मीद दिखने लगी है. कांग्रेस विधायक और जयस प्रमुख हीरालाल अलावा ने कहा भी है कि वे कांग्रेस सरकार को स्थिर बनाने और एक सीट जोड़ने के लिए पार्टी प्रत्याशी को समर्थन देंगे. जयस प्रमुख ने कहा है कि सीएम कमलनाथ से मुलाकात के बाद उन्होंने ये फैसला लिया है. इधर, झाबुआ उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने भी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. 2018 की जीत को दोहराने के लिए बीजेपी इस बार रतलाम झाबुआ लोकसभा सीट से सांसद जीएस डामोर की पसंद के नेता को ही मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है.

भाजपा भी बना रही रणनीति
प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा भी झाबुआ उपचुनाव का जंग जीतने की तैयारी में लग गई है. हालांकि भाजपा की तरफ से जहां एक तरफ सांसद जीएस डामोर की पसंद के प्रत्याशी को उतारने की चर्चा सुर्खियों में है, वहीं उपचुनाव की उम्मीदवारी की दावेदारी पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल भी करते दिखाई दे रहे हैं. पार्टी को उम्मीद है कि इस उपचुनाव में वह निश्चित रूप से जीत हासिल करेगी. पार्टी ने कांग्रेस के प्लान पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा है कि झाबुआ सीट पर बीजेपी दोबारा जीत हासिल करेगी. बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा है कि आदिवासी कांग्रेस सरकार में ठगे गए हैं. इस बार भी वो कांग्रेस पर ऐतबार नहीं करेंगे.

दोनों पार्टियों की साख दांव पर
बहरहाल झाबुआ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा भले ही अपने-अपने तरीके से दावे करती दिखाई दे रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि इस सीट पर जीत को लेकर दोनों ही पार्टियों की साख दांव पर है. कांग्रेस पार्टी जहां राज्य में अपने नौ महीने के कार्यकाल में लिए गए फैसलों को उपचुनाव में भुनाने का काम करेगी. वहीं बीजेपी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पुराने और आजमाए हुए फॉर्मूले यानी पीएम नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा लेकर चुनावी जंग जीतने की कोशिश करेगी. हालांकि जब तक बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के नाम तय नहीं हो जाते, इस चुनाव के परिणाम के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है.