झाबुआ चुनाव में कांग्रेस एकजुट होकर अग्रसर, बीजेपी में लगी दीमक

झाबुआ उपचुनाव में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद अब तस्वीर कांग्रेस के लिये राहत भरी तो बीजेपी के लिये मुश्किल भरी नज़र आ रही है।


कांग्रेस जहां पूरी तरह से एक जुट होकर चुनावी मैदान में नज़र आ रही हैं वहीं भाजपा के अंदरूनी लड़ाई और गुटबाज़ी अब सतह पर नज़र आने लगी है। कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के पक्ष मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत प्रदेश के लगभग सभी बड़े नेता और कांग्रेस कार्यकर्ता के साथ-साथ कांग्रेस के टिकट के मज़बूत दावेदार ज़ेवियर मेडा का साथ आना कांग्रेस के लिये राहत भरी खबर है, वहीं भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने पहले ही दिन ग़ैर ज़िम्मेदाराना एवं विवादित बयान देकर बीजेपी की जमकर किरकिरी करा दी है।

एक ओर भाजपा से बागी होकर रविवार को इस्तीफा देने वाले कल्याणसिंह डामोर ने निर्दलीय फॉर्म भर दिया है, वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता शांतिलाल बिलवाल और मेगजी अमलियार के भी तेवर पार्टी को खासी मुसीबत में डाल रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इन सभी नेताओं को मनाने की काफ़ी कोशिश की गई है, परन्तु ये बाग़ी नेता किसी की भी सुनने को तैयार नहीं हैं।

भाजपा ख़ेमे में अभी से श्रेय लेने और ठीकरा फोड़ने की हलचल तेज नज़र आ रही है जिसका ख़ामियाज़ा भाजपा को भुगतना पड़ेगा। कानाफूसी तो ये भी चल रही है कि मझे हुये नेता गोपाल भार्गव विधानसभा उपचुनाव में पाकिस्तान का नाम यूँ गलती से नहीं ले सकते, ये भाजपा की नैया डुबोने की सुनियोजित चाल नज़र आती है।

बहरहाल झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस टिकट के दावेदार ज़ेवियर मेडा और कांतिलाल भूरिया के बीच नज़र आ रही केमिस्ट्री बीजेपी के लिये चिंता का बड़ा कारण बन सकती है। वहीं कमलनाथ सरकार पिछले 6 महीने से झाबुआ के लक्ष्य को देखकर लगातार आदिवासियों के लिये जो काम कर रही थी, उसे भुनाने और वोटों में बदलने मे उसे कोई गुरेज़-परहेज़ नहीं है