झाबुआ में बीजेपी टूटी, 100 से अधिक नेता कांग्रेस में हुए शामिल, 800 से अधिक बीजेपी नेताओ के और कांग्रेस में जाने की सम्भावना

झाबुआ उपचुनाव में बीजेपी की पतली हालत के बाद अब बीजेपी के संगठन में हो रहे बिखराव ने बीजेपी नेतृत्व को सकते में डाल दिया है। कल झाबुआ में कमलनाथ के रोड-शो में जहाँ जनसैलाब उमड़ पड़ा वहीं बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले कल्याणपुरा के 100 से अधिक बीजेपी नेता भी मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके पूर्व बीजेपी के जिला अध्यक्ष कल्याण सिंह डामोर भी बीजेपी छोंडकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं।

झाबुआ में 1 महीने पहले तक मजबूत नजर आ रही बीजेपी टिकट वितरण के बाद से खुद को समेट नहीं पा रही है। बीजेपी नेतृत्व को टिकेट बटवारे में स्थानीय संगठन को नजरअंदाज करना इतना महंगा पड़ेगा इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी, लेकिन अब बीजेपी के लिए संभलना या हालात संभालना नामुमकिन हो चुका है।

बीजेपी के असंतुष्ट व बागी नेता शांतिलाल बिलवाल को बीजेपी ने चुनाव प्रभारी बनाकर एकता दिखाने की कोशिश जरूर की थी, मगर बीजेपी का ये दांव भी उल्टा ही पड़ गया। अब बागी शांतिलाल बिलवाल बीजेपी कार्यालय में ही बैठकर बीजेपी के लिए गड्ढे खोदने में लगे हुए।

बीजेपी को अपनी पराजय का साफ-साफ़ अहसास होने के बाद अब बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हार के अंतर को कम कर अपनी खिसकती हुई जमीन बचाना है।

झाबुआ के स्थानीय युवाओं से शिवराज की पिछली सरकार और कमलनाथ की वर्तमान सरकार के कामकाज पर बात करो तो वो बीजेपी के 15 साल के शासन को 100 में से 15 नंबर देते हैं लेकिन कमलनाथ के 10 महीने के शासन को 100 में से 95 नंबर देकर वर्तमान कमलनाथ सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखाई देते हैं। बीजेपी ने कर्जमाफी को लेकर जितने भी भ्रम फैलाये उनका झाबुआ में कोई असर नहीं दिखाई देता क्योंकि यहाँ ऐसे किसानों की तादात बहुत ज्यादा है जो सामने आकर कहते हैं की उनका कर्जा माफ़ हुआ है।

बहरहाल झाबुआ चुनाव में कांग्रेस की जीत और बीजेपी की पक्की हार की भविष्यवाणियों के बीच कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर ये भी है की बीजेपी नेताओं द्वारा कमलनाथ सरकार के खिलाफ किये गए दुष्प्रचारों का मध्यप्रदेश की जनता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है, बल्कि यहाँ तो बीजेपी के झूठे प्रचारों से बीजेपी को ही ज्यादा नुक्सान होता नजर आ रहा है।