ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क को हटाना पड़ा विज्ञापन, ‘लव जिहाद’ की साजिश रचने का लग रहा था आरोप

टाटा ग्रुप से जुड़े ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क के हिंदू-मुस्लिम सौहार्द और पारिवारिक प्रेम दर्शाने वाले विज्ञापन को कुछ कट्टरपंथियों ने इस कदर निशाना बनाया कि कंपनी ने उसे चार दिन बाद ही वापस ले लिया। 9 अक्टूबर को विज्ञापन के रिलीज होने के बाद से ही भारत की गंगा-जमनी तहजीब से नफरत करने वाले कट्टरपंथी तनिष्क के पीछे पड़ गए थे। ये कट्टरपंथी सुबह से लेकर रात तक तनिष्क के बहिष्कार की धमकी दे रहे थे। विज्ञापन पर देश में लव-जिहाद और नकली धर्मनिरपेक्षता फैलाने का आरोप मढ़ा जा रहा था। हालांकि, फरवरी में देश के गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी साफ कर चुके हैं कि लव जिहाद जैसी कोई चीज नहीं होती। 

तनिष्क द्वारा विज्ञापन हटाए जाने से पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसका विरोध करने वालों को निशाना बनाते हुए ट्वीट किया, “हिंदुत्व कट्टरपंथियों ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए तनिष्क का बहिष्कार करने की बात कही है। अगर यह सुंदर विज्ञापन उन्हें इतना ज्यादा परेशान करता है तो वे हिंदू-मुस्लिम एकता के सबसे पुराने प्रतीक भारत का ही बहिष्कार क्यों नहीं कर देते?”

दरअसल, तनिष्क ने अपने विज्ञापन में दिखाया था कि कैसे एक मुस्लिम परिवार अपनी हिंदू बहू की गोदभराई की पूरी धूमधाम से तैयारी कर रहा है। विज्ञापन में दिखाया गया था कि कैसे एक मुस्लिम सास अपनी हिंदू बहू को बेटी की तरह प्यार कर रही है और गोदभराई की उन रस्मों को निभा रही है, जो मुस्लिम संस्कृति में प्रचलित नहीं हैं। 

बहू जब अपनी सास से कहती है कि मां आप ये सब क्यों कर रही हैं, तब सास कहती हैं कि बेटी को खुश रखने का रिवाज तो हर घर में होता है। तनिष्क ने अपने इस विज्ञापन को एकत्वम का नाम दिया था और इसे विभिन्न धर्मों, प्रथाओं और संस्कृतियों को सुंदर मिलन बताया था। लेकिन कट्टरपंथियों को यह खूबसरती और प्रेम से भरा विज्ञापन नागवार गुजरा। हालांकि, यही बहुधार्मिकता भारत देश का प्रमुख गुण रही है। 

विज्ञापन हटाने से पहले यूट्यब पर इसे लाइक से ज्यादा डिसलाइक मिले। यह संगठित तरीके से चलाया गया अभियान था, जिसमें बीजेपी के आईटी सेल की भूमिका साफ है। बीजेपी के आईटी सेल से जुड़े लोगों ने इस विज्ञापन पर एतराज जताते हुए इसे हिंदू विरोधी और लव जिहाद को बढ़ावा देने वाला बताया था। उनका कहना था कि हमेशा ही किसी हिंदू महिला या युवती को मुस्लिम युवक की प्रेमिका और पत्नी के रूप में दिखाया जाता है, जबकि इसका उल्टा नहीं होता। हालांकि, भारत में अंतरधार्मिक शादियों का लंबा इतिहास रहा है। कहीं पत्नी मुस्लिम है और पती हिंदू तो कहीं पत्नी हिंदू है तो पति मुस्लिम।