मुद्दों को मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं मिल रही, ‘जनतंत्र’ पर ‘धनतंत्र’ हावी हो रहा है : शत्रुघ्न सिन्हा

बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा है. भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने सरकार को ‘एक आदमी की सेना’ और ‘दो आदमी का शो’ करार दिया. पटना से लोकसभा सांसद सिन्हा ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी के मंत्री ‘चाटुकारों की टोली’ हैं. इनमें से 90% को कोई नहीं जानता.

भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी के बहुचर्चित नारे ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ पर कटाक्ष करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘आजकल हो ये रहा है कि ‘ना जियूंगा, ना जीने दूंगा.’ जदयू के बागी सांसद अली अनवर की किताब के विमोचन के अवसर पर सिन्हा ने अपने विरोधियों के इस दावे को खारिज कर दिया कि वह मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि उनकी कभी ऐसी आकांक्षा नहीं थी.
 Issues are not getting enough space in the media
मोदी सरकार के मंत्रियों का मजाक उड़ाते हुए सिन्हा ने कहा, ‘उनमें से 90 फीसदी को कोई नहीं जानता. उन्हें भीड़ में कोई नहीं पहचानेगा. वे चाटुकारों की टोली हैं. वे वहां कुछ बनाने के लिए नहीं हैं, बस बने रहने की कोशिश में लगे हैं.

एक कार्यक्रम में अपने ‘दिल की बात’ बताते हुए सिन्हा ने कहा, ‘किसी और ने ‘मन की बात’ पेटेंट करा रखी है. आजकल ऐसा माहौल है कि या तो आप एक शख्स का समर्थन करें या देशद्रोही कहलाने के लिए तैयार रहें.’ मोदी सरकार की नीतियों की अक्सर आलोचना करने वाले सिन्हा माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और जदयू के बागी नेता शरद यादव सहित विपक्ष के कई शीर्ष नेताओं के साथ मंच साझा करते हुए जमकर बरसे.

‘सिन्हा नोटबंदी और जीएसटी जैसे सरकार के आर्थिक फैसलों पर बोलने के कारण उनकी आलोचना करने वालों पर भी बरसे. संभवत: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि एक वकील वित्त मंत्री बन सकता है, एक टीवी अदाकारा मानव संसाधन विकास मंत्री बन सकती है और एक चाय वाला…..फिर मैं इन मुद्दों पर क्यों नहीं बोल सकता?’

गौरतलब है कि स्मृति पहले मानव संसाधन विकास मंत्री थीं. सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘बुद्धिजीवियों की हत्या हो रही है और अब तो जजों को भी मारा जा रहा है.’ भाजपा सांसद ने कहा कि इन मुद्दों को मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं मिल रही है, क्योंकि ‘जनतंत्र’ पर ‘धनतंत्र’ हावी हो रहा है.